नई दिल्ली : प्रियंका गांधी का जादू कांग्रेस के अलावा अब सहयोगी दलों के भी सिर चढ़कर बोल रहा है। बिहार में कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी को धूल चटाने वाली जेडीयू की निगाहें अब उत्तर प्रदेश पर हैं, लेकिन राज्य में अपनी पार्टी की हैसियत से वाकिफ जेडीयू अब कांग्रेस के पीछे खड़ी होने को तैयार है, जिससे बीजेपी को रोका जा सके और इसके लिए उसने भी दांव लगाया है प्रियंका गांधी पर।
अब जेडीयू भी प्रशांत किशोर की राह पर चलते हुए कांग्रेस को सलाह दे रही है कि यूपी में एक बड़े चेहरे की दरकार है और वो प्रियंका गांधी हो सकती हैं। जेडीयू महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने आज तक से बातचीत में कहा कि, प्रियंका सीएम उम्मीदवार बनें तो जनता, कांग्रेस और हमारे जैसे उनके सहयोगियों को ही चुनेगी। त्यागी ने यह भी कहा कि, अगर प्रियंका सीएम उम्मीवार नहीं बनना चाहतीं तो कम से कम अमेठी और रायबरेली तक सीमित न रहें. प्रियंका पूरे प्रदेश में प्रचार करें।
जेडीयू का मानना है कि, नीतीश की साफ सुथरी छवि और प्रियंका का जनता के बीच आकर्षण चुनाव में हिट रहेगा, दोनों की साझा रैलियां यूपी में हमारे गठजोड़ को जनता के बीच लोकप्रिय बनाएंगी, जिसका फायदा कांग्रेस को ही होगा क्योंकि, हमको यूपी में अपनी ताकत का एहसास है और हम छोटे भाई की भूमिका में ही रहना चाहते हैं। हालांकि अभी तक जेडीयू की तरफ से आधिकारिक तौर पर कांग्रेस को कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है। लेकिन जेडीयू का कहना है कि, प्रशांत किशोर पहले ही कांग्रेस को ये प्रस्ताव दे चुके हैं और इस पर आखिरी फैसला कांग्रेस और गांधी परिवार को ही करना है।
दरअसल, प्रशांत किशोर की तर्ज पर जेडीयू का भी मानना है कि यूपी में बीजेपी को कांग्रेस ने नहीं रोका तो 2019 की राह मुश्किल हो जायेगी। इसलिए प्रियंका को सीएम न सही कम से कम बतौर स्टार प्रचारक मैदान में उतार देना चाहिए।
वैसे अभी तक यूपी में जेडीयू और कांग्रेस का औपचारिक समझौता नहीं हुआ है. राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया अजीत सिंह कभी जेडीयू तो कभी बीजेपी से बात कर रहे हैं। सपा और बीएसपी किसी से समझौता कर नहीं रहे, ऐसे में बिहार की तर्ज पर बीजेपी विरोध का महागठबंधन यूपी में होता न देख अब जेडीयू को शायद प्रियंका गांधी ही इकलौता तुरुप का इक्का नजर आ रहीं हैं। आखिर 2019 में पीएम की कुर्सी पर नितीश की निगाहें भी तो हैं। लेकिन प्रियंका पर आखिरी फैसला तो गांधी परिवार ही करेगा, जिसके जवाब का इंतजार प्रशांत किशोर और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ ही अब जेडीयू को भी रहेगा।