नई दिल्ली – दिल्ली में वकील और कांग्रेस के नेता ने 2013 में यूपीए सरकार को बताया था कि मुंबई बम धमाकों का गुनहगार दाऊद इब्राहिम भारत ‘वापस’ आना चाहता है। यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान उच्च पदों पर रहे कई पूर्व अधिकारियों ने कहा कि अंडरवर्ल्ड सरगना के इस प्रस्ताव पर यूपीए सरकार में शीर्ष स्तर पर चर्चा भी हुई थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 1993 के बम धमाकों के 20 साल बाद दाऊद ने पहली बार सरेंडर करने और भारत में ट्रायल का सामना करने की इच्छा जताई थी। उसके इस प्रस्ताव तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एनएसए शिवशंकर मेनन के बीच बातचीत हुई थी।
कांग्रेस के दो नेताओं से दाऊद के प्रस्ताव पर चर्चा करने वाले वकील ने बताया कि यह एक ‘हॉट पोटैटो’ जैसा था। दाऊद की शर्तों पर भारत में ट्रायल चलाया जाने की बात मानना काफी रिस्की हो सकता था। इस मामले में तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
कांग्रेस नेताओं से दाऊद के ‘ऑफर’ के बारे में चर्चा करने वाले वकील ने इससे पहले भी डी-कंपनी के कई मामलों को हैंडल किया है। इसके अलावा वह दाऊद और उसके परिवार के सदस्यों के साथ भी संपर्क में रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में दाऊद किडनी की बीमारी से परेशान था और परिवार के साथ वक्त गुजारना चाहता था।
मनमोहन बोले, नहीं हुई थी ऐसी कोई बात
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को ईमेल के जरिए दिए जवाब में कहा कि मुझे अंडरवर्ल्ड सरगना की वापसी को लेकर किसी भी नेता से चर्चा किए जाने की कोई बात याद नहीं है। पूर्व अधिकारियों के मुताबिक दाऊद के ‘ऑफर’ की बात पहले कांग्रेस नेतृत्व तक पहुंचाई गई थी, इसके बाद इस मामले को पीएमओ ऑफिस पहुंचाया गया।