लखनऊ: उत्तरप्रदेश विधानसभा द्वारा पूर्व में 21 दिसंबर 2017 को पारित यूपीकोका विधेयक, जिसे विपक्ष ने संख्याबल के सहारे विधान परिषद् 13 मार्च, 2018 को अस्वीकार करा दिया था, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसे पुनः पारित किये जाने का प्रस्ताव विधानसभा में रखते हुए कहा कि प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की स्थिति को सुदृढ़ और मजबूत किये जाने के लिए इस क़ानून लाया जा रहा है। इस प्रकार यह क़ानून प्रदेश के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
दूसरी और नेता विरोधीदल राम गोविन्द चौधरी ने विधानसभा में यह कहते हुए यूपीकोका का विरोध किया कि यह क़ानून जनता हित में नहीं बल्कि राजनैतिक विपक्षियों पर कानूनी शिकंजा कसने और उन्हें प्रताड़ित करने के लिए लाया जारहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक के प्राविधानों में संविधान में प्रदत्त लोक तन्त्र के चतुर्थ स्तम्भ के रूप में काम कर रहे मीडिया और पत्रकारों के भी अधिकारों पर रोक लगाने और उनमे भय पैदा करने की साजिश की गयी है।
कांग्रेस के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि योगी सरकार ने यूपीकोका जैसा काला कानून लाकर अंग्रेजी हुकूमत याद दिलाने का काम किया है l यह संविधान विरोधी है, लोकतंत्र विरोधी हैं l इस में पत्रकारों तक को आजादी नहीं है l जिसके अंतर्गत विरुद्ध होगा उसे अपनी बात कहने का कोई अधिकार नहीं होगा l आज तक ऐसा कोई कानून नहीं था l जिसमें पीड़ित को अपना आवाज रखने का मौका मिलता था, लेकिन इसमें पीड़ित की आवाज दबा दिया जाएगा कांग्रेस इस बिल का पुरजोर विरोध करेगी और हमने इसी के विरोध में आज सदन से वाक आउट किया l
बीएसपी के नेता लालजी वर्मा ने आज सदन में पेश हुए यूपीकोका पर बोलते हुए कहां की योगी सरकार यह बिल अपराधियों के नियंत्रण के लिए नहीं बल्कि अपने राजनीतिक विरोधियों को काबू में रखने के लिए लाया गया कानून है l यह विधेयक लोकतंत्र को खत्म करने वाला विधेयक है l इस विधेयक का हम विरोध करते हैं l
@शाश्वत तिवारी