अमेरिकी सेना में ट्रांसजेंडरों की भर्ती पर रोक लग गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद सीमित परिस्थितियों को छोड़कर ट्रांसजेंडरों की सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया।
सेना में ट्रांसजेंडरों की भर्ती पर रोक लगाने वाले मेमोरंडम पर ट्रंप ने दस्तखत भी कर दिए हैं। इस मेमोरंडम में कहा गया है कि ट्रांसजेंडर्स एक प्रकार की बीमारी से पीड़ित होते हैं और उन्हें सही उपचार की आवश्यकता होती है। इस उपचार में दवाओं से लेकर सर्जरी तक के विकल्प होते हैं, इसलिए इन्हें सैन्य सेवाओं के लिए अयोग्य माना जाता है।
मेमोरंडम के मुताबिक सिर्फ कुछ निश्चित परिस्थितियों में ही ट्रांसजेंडर सेना में काम करते रहेंगे। हालांकि उन्होंने लिखा है कि रक्षामंत्री और होमलैंड सुरक्षा के मुखिया सैन्य सेवाओं की चिंताओं पर ध्यान देते हुए इसे सही तरीके से लागू करने के लिए स्वतंत्र हैं।
यद्यपि ट्रंप ने भले ही इस रोक का फैसला सेनाओं पर छोड़ दिया हो लेकिन इस मेमोरंडम को कई जजों ने प्रतिबंधित कर रखा है। उनका कहना है कि यह अमेरिकी संविधान के खिलाफ है। उनका मानना है कि अमेरिकी संविधान लोगों के कानून के तहत बराबरी की सुरक्षा देने की वकालत करता है।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा है कि वह कानून के मुताबिक ही काम करेगा। व्हाइट हाउस का कहना है कि रक्षा मंत्री जिम मेटिस को लगता है कि लैंगिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति या ऐसा कोई भी इतिहास रखने वाले लोग सेना को प्रभावी बनाने के लिहाज से खतरा हो सकते हैं।
ओबामा प्रशासन के फैसले को पलटा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय अमेरिका में ट्रांसजेंडर नीति बनी थी। इस नीति के तहत ट्रांसजेंडरों की सेना में भर्ती शुरू हो गई। लेकिन ओबामा के इस फैसले के विरोध में ट्रांसजेडर्स की सेना में भर्ती पर रोक लगा दी है।
अमेरिका में ट्रंप के इस फैसले का विरोध भी हो रहा है, क्योंकि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के वक्त ट्रंप ने ट्रांसजेंडर्स और गे राइट्स के लिए काम करने का वादा किया था।