अलबुकर्क : परमाणु बम दशकों से अमेरिकी शस्त्रागार का हिस्सा रहे हैं। अब उसने तबाही के इस हथियार के उन्नत संस्करण का परीक्षण करना भी शुरू कर दिया है। बीते महीने सैंडिया नेशनल लेबोरेटरीज के वैज्ञानिकों ने “बी61-12” का हवाई परीक्षण किया।
परीक्षण की खबर ऐसे वक्त में सामने आई है जब सीरियाई एयरबेस पर मिसाइल हमले और अफगानिस्तान में अब तक का सबसे बड़ा बम गिराने के कारण अमेरिका चर्चा में है।
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि नेलिस वायु सेना अड्डे से एफ-16 विमान ने “बी61-12” के निष्क्रिय संस्करण के साथ उड़ान भरी। नेवादा के रेगिस्तान स्थित टोनोपा परीक्षण रेंज की एक सूखी झील में इसे गिराया गया।
सैंडिया के स्टॉकपाइल रिसोर्स सेंटर की निदेशक ऐना शॉउर ने बताया कि परीक्षण का मकसद गैर परमाणु कार्यों और एफ-16 लड़ाकू विमान की क्षमता का मूल्यांकन करना था। दूरबीन, रिमोट कैमरे और परीक्षण रेंज पर रखे गए अन्य उपकरणों से जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं उनका वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं।
“बी61-12” के विकास पर कई साल से काम चल रहा है। बीच के वर्षों में बजट के अभाव में इसका अनुसंधान प्रभावित होने की खबरें आई थी। लेकिन, डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने के बाद इस योजना का समर्थन किया था। ट्रंप अमेरिका की परमाणु ताकत बढ़ाने के पैरोकार रहे हैं।
ऐसे में आने वाले दिनों में इस बम के और परीक्षण किए जा सकते हैं। परीक्षण का सिलसिला अगले साल सितंबर तक चलेगा। राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि मार्च 2020 तक इस परमाणु बम के उत्पादन की पहली इकाई पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
ऐसे काम करेगा
“बी61-12” एटम बम की खासियत यह होगी कि इसमें होने वाले धमाके को दूर से संचालित और निर्देशित किया जा सकेगा। एटम बम को गिराने वाला पायलट विमान में बैठकर इसे संचालित कर सकेगा और तय लक्ष्य तक बम को पहुंचाकर उसमें धमाका कर सकेगा।
एटम बम के पिछले हिस्से में पूंछ की तरह का एक उपकरण लगा होगा जो सटीक हमला करने के लिए उसके संचालन और निर्देशन में सहायक होगा। लक्ष्य दुश्मन के आकाश में हो सकता है। जमीन पर हो सकता है या जमीन के नीचे कहीं भूगर्भ में छिपा हो सकता है।
कितना खतरनाक
“बी61-12” की मारक क्षमता 340 किलोटन तक होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगी कि लड़ाई के दौरान इस बम का इस्तेमाल लोगों को मारने के लिए किसी महानगर पर गिराकर किया जाएगा या दुश्मन की मिसाइल शक्ति को खत्म करने के लिए।
कहां कितने “बी61-12” होंगे
इटली – 70
तुर्की – 50
जर्मनी – 20
बेल्जियम – 20
नीदरलैंड – 20
स्रोत : ग्लोबल रिसर्च
अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर जो एटम बम गिराया था वह करीब 15 किलोटन का था। इसमें करीब डेढ़ लाख लोग मारे गए थे। इनमें वे लोग शामिल नहीं है जो बाद में रेडियोधर्मी बीमारियों के कारण मारे गए। अब इस आधार पर आप 340 किलोटन के एटम बम की माकर क्षमता का अंदाजा लगा सकते हैं।
यूरोप में तैनाती
ग्लोबल रिसर्च के मुताबिक उत्पादन शुरू होने के बाद यूरोप में 180 “बी61-12” परमाणु बम तैनात किए जाएंगे। यूरोप में पहले से तैनात अमेरिका के परमाणु बम बी61-3, बी61-4, बी61-7 और बी61-10 की जगह लेंगे।
“बी61-12” को गिराने के लिए पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एफ-22 रैप्टर, एफ-22 लाइटनिंग, ए-10 थंडरबोल्ट और बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान एफ-16 का इस्तेमाल किया जाएगा।
स्टार्ट-3 का उल्लंघन
अमेरिका की इस योजना को रूस पहले ही “स्टार्ट-3” संधि का उल्लंघन करार दे चुका है। इस संधि के मुताबिक दोनों देशों को परमाणु बम वाहक मिसाइलों की संख्या 700 और बमों की संख्या 1500 तक सीमित करनी है।
दोनों देशों ने 2010 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे और फरवरी 2011 में यह प्रभावी हुआ था। माना जाता है कि ट्रंप के पूर्ववर्ती बराक ओबामा को इसी संधि के कारण नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।