वॉशिंगटन: अमेरिका में पाकिस्तान के एम्बेसेडर असद मजीद खान ने बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन से बड़ी गुहार लगाई। मजीद ने कहा- पाकिस्तान चाहता है कि भारत उसके साथ अमन बहाली के लिए बातचीत करे, लेकिन इसके लिए अमेरिका को मदद करनी होगी। एक थिंक टैंक के प्रोग्राम में असद ने कहा- हम चाहते हैं कि हमारे पड़ोस में अमन रहे। बातचीत के लिए शांतिपूर्ण माहौल बनाने की जिम्मेदारी भारत सरकार की है।
हालिया दो महीने में पाकिस्तान की तरफ से बार-बार भारत से बातचीत की इच्छा जाहिर की गई है। प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी दो बार खुले तौर पर बातचीत की अपील कर चुके हैं। हालांकि, भारत ने अब तक इस पर कोई रिएक्शन नहीं दिया।
बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन को सलाह भी
मजीद वॉशिंगटन के स्टिमसन सेंटर में भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा- हम चाहते हैं कि अमेरिका हम दोनों पड़ोसियों यानी भारत और पाकिस्तान के बीच अमन बहाली के लिए बातचीत शुरू कराए। भारत सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वो बातचीत के लिए मुफीद माहौल तैयार करे। मजीद के इस बयान पर अब तक भारत सरकार ने कोई रिएक्शन नहीं दिया है।
इसी भाषण में उन्होंने कहा- अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए यह जरूरी है कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन तालिबान से भी बातचीत करे। हम अपनी तरफ से वहां शांति के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं।
भारत हम पर आरोप लगाता है
मजीद ने कहा- फरवरी 2019 में भारत में पुलवामा हमला हुआ। भारत ने इसका इलजाम पाकिस्तान पर लगाया। भारत कहता है कि हमारे यहां आतंकी ट्रेनिंग कैम्प हैं और इनमें 300 दहशतगर्द ट्रेनिंग ले रहे हैं। सच्चाई ये है कि भारत में सियासी फायदे के लिए पाकिस्तान को टारगेट किया जाता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने भी यही किया। इसका फायदा भी हुआ और मोदी चुनाव जीत गए थे। हमारे प्रधानमंत्री इमरान खान ने शांति के लिए बातचीत की बात कई बार दोहराई। हम चाहते हैं कि भारत के साथ कारोबारी रिश्ते भी शुरू किए जाएं। इसके लिए जरूरी है कि भारत को कश्मीर में एकतरफा उठाए गए कदमों को वापस लेना होगा।
ये बातचीत का राग क्यों अलापा जा रहा है
इमरान के अलावा विदेश मंत्री कुरैशी और अब अमेरिका में पाकिस्तान के एम्बेसेडर भारत से बातचीत का राग अलापने लगे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आज से जिनेवा में FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की मीटिंग शुरू हो रही है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान ग्रे से ब्लैक लिस्ट में जा सकता है और इसके बाद उसके दिवालिया होने के हालात पैदा हो जाएंगे। पाकिस्तान इससे बचने के लिए छटपटा रहा है और वहां की सरकार इसके लिए तमाम हथकंडे अपना रही है। भारत से बातचीत की पेशकश इसी कड़ी में उठाया गया कदम है।