नई दिल्ली [ TNN ] केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद समारोह के अवसरों पर भारतीय झण्डा सहिंता के प्रावधान के अनुरूप जनता द्वारा केवल कागज से बने झण्डों का ही उपयोग करने के निर्देश दिये हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के निदेशक श्यामला मोहन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि समारोह के पूरा होने के पश्चात ऐसे कागज के झण्डों को जमीन पर नहीं फेकने तथा उन्हें विकृत नहीं करने के साथ ही ऐसे झण्डों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकान्त में करने के निर्देश भी दिये गये हैं।
उन्होंने बताया कि महत्वपूर्ण अवसरों पर कागज के झण्डों के स्थान पर प्लास्टिक के झण्डों का प्रयोग किया जा रहा है। चूंकि, प्लास्टिक से बने झण्डे कागज के समान जैविक रूप से अपघट्य नहीं होते हैं। ये लम्बे समय तक नष्ट नहीं होते हैं और वातावरण के लिए भी हानिकारक होते हैं। इसके अतिरिक्त, प्लास्टिक के बने राष्ट्रीय झण्डों का सम्मानपूर्वक उचित निपटान सुनिश्चित करना भी एक समस्या है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 की धारा 2 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी भी ऐसे स्थान पर सार्वजनिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय झण्डे या उसके किसी भाग को जलाता है, विकृत करता है, विरूपित करता है, दूषित करता है, कुरूपित करता है, नष्ट करता है, कुचलता है या अन्यथा उसके प्रति अनादर प्रकट करता है या (मौखिक या लिखित शब्दों में, या कृत्यों द्वारा ) अपमान करता है तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जायेगा।