BSP first time given ticket to muslim candidate in ayodhya
लखनऊ- उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही सभी सियासी दलों ने रणनीतिक बढ़त की कवायद तेज कर दी है। इसी के मद्देनजर यूपी की सत्ता का ख्वाब देख रही बहुजन समाज पार्टी ने प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों को लेकर खास रणनीति बनाई है। यही वजह है कि पार्टी सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश की सभी सीटों में उम्मीदवारों का चयन वोटरों की स्थिति और सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए किया है। इसका बेहद खास उदाहरण अयोध्या में देखने को मिला जहां बहुजन समाज पार्टी ने एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है।
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36 साल बाद मुख्य धारा की पार्टी ने अयोध्या से उतारा मुस्लिम उम्मीदवार
1980 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी मुख्य धारा की पार्टी ने अयोध्या में मुस्लिम उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद गरमाने के बाद से कभी भी किसी सियासी दल अयोध्या में किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया। हालांकि इस बार बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बड़ा दांव खेलते हुए अयोध्या से बज्मी सिद्दीकी को टिकट दिया है। बज्मी सिद्दीकी का ये पहला विधानसभा चुनाव है। दरअसल, अयोध्या सीट पर बहुजन समाज पार्टी को कभी भी जीत नहीं मिली है। 1991 के बाद से लगातार 21 साल तक ये सीट बीजेपी के पास रही।
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बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह लगातार 21 साल तक इस सीट से विधायक रहे। हालांकि 2012 में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे ने यहां जीत हासिल की। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह को हराया। सपा उम्मीदवार पवन पांडे ने बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह को 5405 वोटों से शिकस्त दी।
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अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में करीब तीन लाख वोटर हैं। स्थानीय बीएसपी नेताओं की मानें तो यहां 50 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं, वहीं अनुमान के मुताबिक करीब 60 हजार से ज्यादा दलित वोटर भी इस इलाके में हैं। बीएसपी को उम्मीद है कि पार्टी के उम्मीदवार बज्मी सिद्दीकी यहां के आधे मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर खींचने में सफल रहेंगे, हालांकि पार्टी को पता है कि इलाके के ज्यादातर मुस्लिम वोटर समाजवादी पार्टी को ही वोट देते हैं। बीएसपी उम्मीदवार बज्मी सिद्दीकी ने बताया कि आजादी के बाद ये पहली बार है जब किसी मुख्य धारा की पार्टी ने अयोध्या से मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा है।
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मुझे लगता है कि ये फैसला अयोध्या में साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाने में खास रोल अदा करेगा। उन्होंने कहा कि अयोध्या के लोग शांति और प्यार से रहना पसंद करते हैं। वो बीजेपी की साम्प्रदायिक राजनीति को बिल्कुल भी नहीं चाहते हैं। यही वजह है कि पिछले चुनाव में उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा। बीएसपी उम्मीदवार जो भी बातें कह रहे हैं इसका कितना असर वोटरों पर होगा ये तो चुनाव के बाद पता चलेगा, लेकिन जिस तरह से बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अयोध्या विधानसभा सीट को लेकर पहली बार मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा है ये बेहद चौंकाने वाला जरूर है। देखना होगा कि इस बार अयोध्या के वोटर उनके इस फैसले का कितना समर्थन करेंगे। [एजेंसी]