अमेठी- स्वच्छ भारत मिशन अमेठी में गंदगी के ढेरों तले दम तोड़ चुका है। शहर की फिजाओं में घुली सड़ांध लोगों को सांस लेने तकलीफ दे रही है, गलियों-चौराहों पर कूड़े के ढेर पसरे पड़े हैं। नगर पंचायत की अनदेखी का असर इस कदर है कि यहां के स्कूलों में भी गंदगी ने कब्जा जमा रखा है।
खास बात यह है कि शहर की यह बदहाली उसके मुहाने से ही दिखनी शुरू हो जाती है। कस्बे की सीमा से सटे सभी दिशाओं के वेलकम गेट पर कूड़े का पहाड़ सजा दिया गया है मानो कस्बे के यह यहां दरवाजे आने वालों से कह रहे हों, गंदगी के शहर में आपका स्वागत है…।
मुसाफिरखाना नगर पंचायत ने एक कदम स्वच्छता की ओर बढ़ाने की बजाय दो कदम पीछे खींच लिए हैं शहर कीचड़, कचरा और सड़ांध से जूझ रहा है। किसी सड़क के किनारे कूड़े के टीलेनुमा ढेर हैं, कहीं पूरा का पूरा मैदान कूड़ाघर बन गया है, कोई घर के बाहर भरे नाले के पानी से परेशान है तो किसी ने घर के बाहर सफाई रखने के लिए खुद ही झाड़ू और पंजा उठा लिया है…।
इस कस्बे के ही ताजा हालात हैं। कस्बे के चप्पे-चप्पे पर गंदगी का कब्जा हो चुका है। स्वच्छ भारत मिशन खुद गंदगी के ढेरों में गुम हो गया है। कूडे़ के ढेरों के नीचे से झांकते स्वच्छ भारत मिशन के निशां शहर में उसकी विफलता का प्रमाण हैं। मिशन को सफल बनाने की जिम्मेदारी जिन हाथों को सौंपी गई थी, उन्होंने उसे कचरे के हवाले कर दिया।
एक कदम स्वच्छता की ओर का नारा लेकर आगे बढ़ा स्वच्छ भारत मिशन अपने शुरूआती दिनों में हाथों-हाथ लिया गया। सिर्फ नगर पंचायत ही नहीं बल्कि सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधियों ने भी जनपद को चमकाने में जोर लगा डाला अखबारों न्यूज चैनलों में तस्वीरें आईं तो लगा कि शायद जनपद के अब अच्छे दिन आ गए हैं और गंदगी के आखिर दिन…।
लेकिन यह महज चार दिन की चांदनी थी। वक्त गुजरते ही इस मिशन को भी बिसरा दिया गया। सब भूले तो भूले, नगर पंचायत भी भूल बैठा। जिसके बाद शहर की सड़कों के किनारे, मोहल्ले की गलियों में, चैराहों पर गंदगी के ढेर बढ़ते ही जा रहे हैं बदहाली की दास्तां मलिन और गरीब बस्तियों तक ही नहीं थमी, कस्बे के गलियों भी गंदगी ने कब्जा जमा लिया। कभी हरियाली से ढके रहने वाले और फुलवारी की खुशबू से महकने वाले जनपद की फिजाओं में अब सड़ांध घुल चुकी है।
मुसाफिरखाना वार्ड नं 08 तहसील कॉलोनी इण्टर कॉलेज के पीछे आज भी गन्दगी के ढेर लगे है जिस पर नगर पंचायत ने पूरी तरह अपना मुँह फेर रखा है ये रास्ते तो ऐसे हैं जहां से बिना मुंह पर कपड़ा ढके निकला भी नहीं जा सकता।
गंदगी में बेहाल हुये, नौनिहाल-
गंदगी के बढ़ते कदम न सिर्फ लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि नौनिहाल भी नाक दबाने पर मजबूर है मुसाफिरखाना के प्राथमिक विद्यालय(प्रथम और द्वितीय),उच्च माध्यमिक विद्यालय मुसाफिरखाना(प्रथम और द्वितीय) और कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय तथा ब्लॉक संसाधन केंद्र परिसर में नियमित सफाई कर्मचारी ही नही मिला।
यूं तो मुसाफिरखाना के नगर पंचायत कार्यालय में सफाई कर्मचारियो की भारी फौज दिखती है लेकिन अभी तक इन स्कूलोें की दुर्दशा ही देखने को मिली है वही जब मुसाफिरखाना के चेयर मैन बृजेश अग्रहरि से इस बाबत जानकारी मांगी गयी तो उन्होंने कहा कि इन स्कूलो के लिए सफाई कर्मचारी नही दिया गया। रूटीन और माँग के आधार पर सफाई कर्मचारी भेजे जाते है। अभी तक बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कोई ऐसी मान नही की गयी ।
रिपोर्ट- @राम मिश्रा