35.1 C
Indore
Friday, March 28, 2025

विरोधियों को पटखनी देकर, अपने हठयोग में सफल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

पश्चिम बंगाल चुनावों में सत्ता हासिल करने का सुनहरा स्वप्न बिखर जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अब अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अभी से कवायद शुरू कर दी है। यद्यपि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अभी आठ माह का समय बाकी है परंतु भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को अभी से यह चिंता सताने लगी है कि राज्य की योगी सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज़ मंत्रियों और पार्टी विधायकों की अभी से मान मनौव्वल नहीं की गई तो आठ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में उसे 2017 की शानदार जीत का इतिहास दोहराने में मुश्किलों का सामना कर पड़ सकता है। गत विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत के साथ दो दशकों के बाद राज्य की सत्ता हासिल करने वाली भाजपा का अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट जाना यही संकेत देता है कि उत्तर प्रदेश में सत्ता और संगठन के अंदर सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से उनके मंत्रिमंडल के अनेक सदस्य खुश नहीं हैं और पार्टी के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम इस सूची में सबसे ऊपर है। गौरतलब है कि चार साल पहले भी केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री पद के सबसे सशक्त दावेदार थे परंतु योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद की बागडोर सौंपने के लिए पार्टी ने केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी देकर संतुष्ट कर दिया था ।उस समय मुख्यमंत्री पद के लिए योगी आदित्यनाथ के चयन में संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन परिस्थितियों में केशव प्रसाद मौर्य के पास उपमुख्यमंत्री पद से संतुष्ट हो जाने और कोई दूसरा रास्ता नहीं था। यूं तो योगी सरकार में उन्हें नंबर दो की हैसियत प्राप्त है परन्तु पिछले चार सालों के दौरान मुख्य मंत्री योगी के साथ कभी उनका तालमेल नहीं बैठ सका।

मुख्यमंत्री उन्हें हमेशा हाशिए पर रखने की नीति पर चलते रहे। उधर केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी मौर्य कभी खुलकर अपनी पीड़ा जाहिर नहीं कर पाए इसीलिए उत्तर प्रदेश में लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। विगत दिनों भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष को तीन दिन के लिए उत्तर प्रदेश के दौरे पर भेजने के पीछे केंद्रीय नेतृत्व का असली मकसद मुख्यमंत्री से असंतुष्ट मंत्रियो और संगठन नेताओं के गिले शिकवे शुरू करना ही था। उनके साथ भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह की विधायकों और मंत्रियों के साथ व्यक्ति गत चर्चाओं के पीछे केवल यही मकसद था कि उत्तर प्रदेश में सत्ता धारी दल के नेताओं और योगी सरकार के सदस्यों के असंतोष को दूर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाए परन्तु अभी तक की चर्चाओं से यही संकेत मिल रहे हैं कि राज्य की सत्ता और संगठन में मुख्यमंत्री की कार्यशैली से असंतुष्ट मंत्रियों और विधायकों को मना पाना आसान नहीं है। उधर मुख्यमंत्री योगी सत्ता और संगठन में अपना वर्चस्व तनिक भी शिथिल करने के लिए तैयार नहीं हैं।
सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह है कि इस मुद्दे पर वे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भी चुनौती देने का मन बना चुके हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इतने दिनों से चल रही राजनीतिक उठा-पटक के बावजूद योगी आदित्यनाथ ने अभी तक दिल्ली आकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात करने की कोई पहल नहीं की है।

योगी आदित्यनाथ के हठयोग से परेशान भाजपा इस असमंजस में भी है कि राज्य में अगले साल योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लडने की स्थिति में वह 2017 जैसी शानदार जीत की उम्मीद नहीं कर सकती क्योंकि राज्य की जनता कोरोना की दूसरी लहर की विभीषिका से निपटने के योगी सरकार के तौर तरीकों से बेहद असंतुष्ट दिखाई दे रही है जबकि एक साल पूर्व कैरोना की पहली लहर के दौरान एक संवेदनशील मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने बहुत प्रशंसा अर्जित की थी। हाल में ही संपन्न पंचायत चुनावों में भी पार्टी का जो निराशाजनक प्रदर्शन रहा है उसे भी योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली और सरकार के चार सालों के प्रदर्शन के विरुद्ध ग्रामीण आबादी के असंतोष का परिचायक माना जा रहा है।भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को एक ओर जहां योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध उनके मंत्रिमंडल के बहुत से सदस्यों और सत्ता धारी दल के आधे से ज्यादा विधायकों के कथित असंतोष ने चिंता में डाल रखा है वहीं दूसरी ओर खुद योगी को राज्य के दलीय मामलों में केंद्र और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का हस्तक्षेप रास नहीं आ रहा है।

योगी आदित्यनाथ इस बात से क्षुब्ध हैं कि पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह और राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष को उनकी सरकार के मंत्रियों और पार्टी विधायकों से चर्चा करके सरकार के कामकाज का फीडबैक लेने के लखनऊ भेजा गया। उनका ऐतराज इस बात को लेकर भी है कि राधा मोहन सिंह और बी एल संतोष ने असंतुष्ट मंत्रियो और विधायकों से चर्चा करने के पूर्व उनसे चर्चा करना आवश्यक नहीं समझा। यूं तो राधामोहन सिंह और बीएल संतोष ने मंत्रियों और विधायकों से चर्चाओं के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार की तारीफ की है परंतु राधामोहन सिंह द्वारा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और विधानसभा अध्यक्ष से भेंट करके उन्हें बंद लिफाफा सौंपने की खबरों ने राज्य में नई सियासी अटकलों को जन्म दिया है। योगी आदित्यनाथ ने अभी तक पूरे मामले में मौन साध रखा है परंतु इतना तो तय है कि योगी आदित्यनाथ राज्य सरकार के कामकाज में केंद्र के बढ़ते हस्तक्षेप से खफा हैं।

पिछले कई दिनों से योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावनाएं भी व्यक्त की जा रही हैं परंतु खुद योगी आदित्यनाथ को अपने मंत्रिमंडल के पुनर्गठन में फिलहाल कोई दिलचस्पी नहीं है। उत्तर प्रदेश में पार्टी के अंदर चल रही उठा-पटक ऱोज न ई न ई अटकलों को जन्म दे रही हैं। जिनमें एक यह भी है कि वर्तमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पदमुक्त कर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय में पदस्थ पूर्व आय ए एस अफसर अरविंद शर्मा को उपमुख्यमंत्री पद सौंपने के लिए योगी आदित्यनाथ पर केंद्र निरंतर दबाव बना रहा है । इसके पीछे केंद्र सरकार की मंशा यह है कि अरविंद शर्मा के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर वह अपना परोक्ष नियंत्रण कायम कर सके। गौरतलब है कि अरविंद शर्मा ने अपनी सेवावधि पूरी होने के पूर्व ही सेवानिवृत्ति ले कर उत्तर प्रदेश विधान परिषद में प्रवेश किया है।इस बात की संभावना नगण्य ही प्रतीत हो रही हैं कि योगी आदित्यनाथ अरविंद शर्मा को अपनी सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल करने के लिए तैयार नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश में सत्ता की राजनीति अब ऐसे नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है जहां भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को यह तय करने में मुश्किल हो रही है कि क्या राज्य के आगामी विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ पार्टी को 2017 जैसे प्रचंड बहुमत से विजयश्री दिलाने में समर्थ हो सकते हैं। अगर उसे योगी की सामर्थ्य पर इतना भरोसा होता तो राज्य में सत्ता की राजनीति में इतनी उठा-पटक नहीं हो रही होती। 2017 में बीस साल बाद प्रचंड बहुमत से उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी करके असीम उत्साह से लबरेज दिखाई देने वाली भाजपा ने कभी यह कल्पना नहीं की होगी कि पांच वर्षीय कार्यकाल के आखिरी साल में उसे इस तरह की उठा-पटक का सामना करना पड़ेगा और यह भी एक विडम्बना ही है कि देश के जिस राज्य ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को केंद्र की सत्ता और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी आज उसी राज्य की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी चुनौती देने का दुस्साहस करने में कोई संकोच नहीं कर रहे हैं परंतु योगी आदित्यनाथ शायद यह भूल गए हैं कि उत्तर प्रदेश में 2014 में भाजपा के तत्कालीन उत्तर प्रदेश प्रभारी अमित शाह के रणनीतिक कौशल के कारण ही भाजपा का जनाधार इतना मजबूत हो सका था कि 2017 के राज्य विधानसभा चुनावों में वह प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने में सफल हुई । इसके साथ ही उन चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करिश्माई लोकप्रियता ने सोने में सुगंध की कहावत चरितार्थ कर दी थी। वस्तुत: योगी आदित्यनाथ को तो पार्टी नेतृत्व का कृतज्ञ होना चाहिए जिसने उन्हें मुख्यमंत्री पद की बागडोर सौंपने का फैसला किया जबकि उनका दावा सबसे कमजोर था।

निःसंदेह कट्टर हिंदुत्व का प्रतीक बनने की उनकी क्षमता ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भाजपा ने विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों में उनकी इसी छवि का राजनीतिक लाभ लेने का कोई अवसर खाली नहीं जाने दिया। उत्तर प्रदेश में सत्ता की राजनीति में जारी हलचल अब संकेत दे रही है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य विधानसभा के आगामी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ने का मन बना लिया है। अभी यह कहना मुश्किल है कि भाजपा के लिए योगी आदित्यनाथ जरूरी हैं या मजबूरी परंतु भाजपा चुनाव के आठ महीने पहले योगी का विकल्प खोजकर कोई जोखिम मोल लेने के पक्ष में नहीं है। भाजपा विधायक दल के लगभग दो तिहाई सदस्य और योगी सरकार के कुछ मंत्री भले ही मुख्यमंत्री योगी की कार्यशैली से संतुष्ट न हों परन्तु राज्य में भाजपा का एक वर्ग अभी भी यह मानता है कि योगी आदित्यनाथ ही राज्य विधानसभा के आगामी चुनावों में भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा बन सकते हैं।

भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस समय अपनी उत्तर प्रदेश सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन करने से इसलिए भी परहेज़ कर रहा है क्योंकि कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के विरुद्ध राज्य विधायक दल में असंतोष पनपने की खबरें आ रही हैं। मुख्यमंत्री येदियुरप्पा कह चुके हैं कि जब उन्हें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास मिला हुआ है तभी तक वे मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालेंगे और जिन दिन केंद्रीय नेतृत्व उनसे पदत्याग करने के लिए कहेगा उस दिन वे मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने से उन्हें कोई गुरेज नहीं होगा। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस हकीकत से अच्छी तरह अवगत है कि अगर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से असंतुष्ट मंत्रियों और विधायकों के दबाव में आकर वह राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को स्वीकार कर लेता है तो कर्नाटक में मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के विरुद्ध मुहिम तेज होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता इसलिए उसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फ्री हैंड देने का फ़ैसला किया है। उधर बिहार में भी जीतनराम मांझी और मुकेश साहनी अपने अपने दल हम और व्ही आई पी पार्टी का नीतीश सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे चुके हैं। इन दोनों दलों को विधानसभा में चार चार सदस्य हैं।

उधर असद्दुदीन औबेसी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि अगर जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी नीतिश सरकार से समर्थन वापस लेकर राज्य में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करते हैं तो उनकी पार्टी भी राष्ट्रीय जनता दल को समर्थन देने के लिए तैयार है। अगर ऐसा होता है तो बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन सत्ता में बाहर हो जाएगा। भाजपा बिहार में सत्ता नहीं खोना चाहती। भाजपा को अगले साल देश की 6 राज्यों में विधानसभा चुनावों का सामना करना है। इनमें पंजाब में उसके सामने कठिन चुनौती है जहां उसका अकाली दल के साथ गठबंधन नए कृषि कानूनों के कारण टूट चुका है। किसानों के बीच अपना खोया हुआ जनाधार फिर से वापस पाने के इरादे से उसने भाजपा से अपना रिश्ता तोडा था। भाजपा के सामने पंजाब में दोहरी चुनौती है ।

एक तो उसे नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन रत किसानों के असंतोष की चिंता सता ‌रही है और दूसरे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में उसे अकाली दल का साथ नहीं मिलेगा। इस कारण होने वाले वोटों के बंटवारे का लाभ कांग्रेस को मिलेगा। मध्यप्रदेश में हाल में ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सियासी मेल मुलाकातों ने जिन अटकलों को जन्म दिया था उन पर फिलहाल विराम भले लग गया हो परंतु यह कहना मुश्किल है कि इन मुलाकातों का सिलसिला अगर भविष्य में फिर चल निकला तो वह सत्ता के नए समीकरण तैयार करने में उनकी कोई भूमिका नहीं होगी। कुल मिलाकर भाजपा के लिए केंद्र में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के तीसरे साल में कई राज्यों में चुनौतियां ही चुनौतियां हैं और कोरोना की दूसरी लहर में लोगों की मुसीबतों में जो इजाफा हुआ वह भी भाजपा से नाराजी का कारण बन सकता है।यह स्थिति भाजपा शासित राज्यों में देखी जा चुकी है।
कृष्णमोहन झा

Related Articles

Aviator Oyna Və Qazan Rəsmi Sayti Aviator Azerbaycan

"aviator Online Resmi Web Sitesi: Gerçek Em Virtude De OyunuContentAviator Oyna – Slot Machine Game BaxışıPin Up On The Web Casino'da Aviator OynayınOyunda Avtomatik...

Mostbet Yatirim Bonusu: Yatirima Baslayanlara Özel Avantajlar!

Müsteri portföyünü genisletmek, mutlak surette her ticari kurumun ana önceligi. Dijital kumar sektöründe faal olan firmalarin gündeminde de bahsi geçen etken mevcut. Online...

Youwin Yatirim Bonusu ile Daha Fazla Kazanin!

Yeni tüketiciler edinmek, mutlak surette her firmanin kilit önceligi olsa gerek. Internet tabanli bahis pazarinda hizmet saglayan sirketlerin gündeminde de adi geçen etmen...

VayCasino Canlý Slot Oyunlarý ile Anlýk Kazanç Saðla

Mevcut olan tüm çalýþma alanlarý gibi online kumarhane sektörü de anbean bir yenilik programýndan geçiyor. Her takvim döneminde yeni bir firma inovatif savlarýný...

Анализ уникальных особенностей мостбет: текущие тренды и преимущества

Анализ уникальных особенностей мостбет: текущие тренды и преимуществаМостбет — это одна из ведущих платформ для ставок, которая привлекает внимание большим количеством уникальных функций, делающих...

Sweet Bonanza: trusted online casino

The virtual casino Sweet Bonanza slot has become a in-demand betting venue. It attracts hordes of wagering aficionados from Australia and globally. The gaming...

Placing bets on Playcroco login slot machines

The internet casino Playcroco login has become a highly rated gambling platform. It attracts numerous of risk-takers from Australia and on every continent. This...

Hesabınıza Ve Kayıt Ekranına Erişin

Mostbet Türkiye: En Iyi Oranlar Ve Spor BahisleriBahis başına maksimum kazanç değişir empieza mostbet ile maksimum ödeme günlük 5. 000 $ / € ‘dur....

Kasyno online – Jak funkcjonuje?

Kasyno online to cyfrowa strona rozrywkowa, która pozwala graczom uczestnictwo w grach szczęścia za pomocą internetu. W przeciwieństwie do stacjonarnych salonów gier poza siecią,...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
138,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

Aviator Oyna Və Qazan Rəsmi Sayti Aviator Azerbaycan

"aviator Online Resmi Web Sitesi: Gerçek Em Virtude De OyunuContentAviator Oyna – Slot Machine Game BaxışıPin Up On The Web Casino'da Aviator OynayınOyunda Avtomatik...

Mostbet Yatirim Bonusu: Yatirima Baslayanlara Özel Avantajlar!

Müsteri portföyünü genisletmek, mutlak surette her ticari kurumun ana önceligi. Dijital kumar sektöründe faal olan firmalarin gündeminde de bahsi geçen etken mevcut. Online...

Youwin Yatirim Bonusu ile Daha Fazla Kazanin!

Yeni tüketiciler edinmek, mutlak surette her firmanin kilit önceligi olsa gerek. Internet tabanli bahis pazarinda hizmet saglayan sirketlerin gündeminde de adi geçen etmen...

VayCasino Canlý Slot Oyunlarý ile Anlýk Kazanç Saðla

Mevcut olan tüm çalýþma alanlarý gibi online kumarhane sektörü de anbean bir yenilik programýndan geçiyor. Her takvim döneminde yeni bir firma inovatif savlarýný...

Анализ уникальных особенностей мостбет: текущие тренды и преимущества

Анализ уникальных особенностей мостбет: текущие тренды и преимуществаМостбет — это одна из ведущих платформ для ставок, которая привлекает внимание большим количеством уникальных функций, делающих...