अमेठी- भारत की न्याय पालिका एक स्वतन्त्र निकाय है जो कानून के अनुसार विभिन्न स्तरो पर देश की जनता को इन्साफ मुहैय्या कराती है। उत्तर प्रदेश के अमेठी में सीजीएम की अदालत के ऐसे ही एक फैसले से लोग बहुत कुछ सोचने मजबूर हो गए।
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क्या था मामला
बता दें कि मामला 28 सितंबर 1985 को वर्तमान में अमेठी जिले के जगदीशपुर थाना क्षेत्र का है, जहां वारिसगंज बाजार के बेकरी व्यवसाई अशोक कुमार शाम को जब अपनी दुकान बंद करने लगे तो उसी वक्त एक युवक पास में रखा उनका झोला लेकर भागने लगा।
जिस पर अशोक ने शोर मचाया और आस-पास के लोगों की मदद से लुटेरे को दौड़ा कर रेलवे लाइन के पास पकड़ लिया। झोले में 81 रूपये 90 पैसे रखे थे। पकडे गए युवक की पहचान जगदीशपुर थाने के करीडीह निवासी सियाराम के रूप में हुई। मामले पिछले 31 वर्षों से सीजेएम की अदालत में विचाराधीन चल रहा था।
जिसमें न्यायाधीश विजय कुमार आजाद की अदालत ने मंगलवार को इस मामले में आरोपी सियाराम को दोषी ठहराते हुए, उसे 4 वर्ष के कारावास और 11 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
जहाँ एक ओर न्यायालय के इस फैसले ने क्षेत्र में खलबली मचा दी। वही दूसरी ओर शिकायतकर्ता पक्ष के चेहरे पर ख़ुशी झलकती नजर आयी ।
रिपोर्ट- @राम मिश्रा
82 रुपये की लूट पर 31 साल बाद फैसला, 4 साल की कैद, 11 हजार जुर्माना