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Saturday, November 2, 2024

मुलायम सिंह जन्मदिन विशेष, नेताजी की संघर्ष यात्रा

mulayam singh yadav ips amitabh समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का जन्म ग्राम सैफई जिला इटावा में 22 नवम्बर 1939 को एक किसान परिवार में हुआ। उनके पिता स्व.  सुघर सिंह यादव अत्यन्त सरल हृदय किन्तु कर्मठ किसान थे। यादव ने आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए. बी.टी. की डिग्री ली। वह जैन इन्टर कालेज करहल मैनपुरी में प्रवक्ता भी रहे। इनका विवाह वर्ष 1957 में श्रीमती सामन्तश्री से हुआ जिनके पुत्र श्री अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

22 नवम्बर- मुलायम सिंह यादव के जन्म दिवस पर विशेष 

यादव बचपन से ही समाज में व्याप्त असमानताओं, विषमताओं, अनुसूचित जाति/जन जाति तथा पिछड़े वर्गो की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहे। प्रसिद्ध समाजवादी नेता एवं विचारक डा. राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और अन्याय एवं उत्पीड़न के विरूद्ध संघर्ष की प्रेरणा भी उन्हें डा. लोहिया से ही मिली। डा. लोहिया द्वारा सम्पादित सुप्रसिद्ध समाचार पत्र जन तथा चैखम्भा को यादव बचपन से पढ़ते रहे और इनमें डा. लोहिया द्वारा व्यक्त समाजवादी विचारों से वे निरन्तर प्रभावित होते रहे। उत्तर भारत में इटावा तथा उसके आसपास का क्षेत्र वैसे भी समाजवादी आंदोलन का गढ़ रहा है। बाद में यादव, मधुलिमये जैसे समाजवादी चिन्तक और स्व. कूर्परी ठाकुर, श्री राज नारायण एवं श्री रामसेवक यादव जैसे जुझारू समाजवादी नेताओं के निकट सम्पर्क में आकर राजनीति में सक्रिय रहे।

यादव किसानों के प्रबल समर्थक पूर्व प्रधानमंत्री चै. चरण सिंह के विचारों से भी प्रभावित हुये। वे चैधरी साहब के अति निकटतम विश्वास पात्रों में रहे हैं। चैधरी साहब की आर्थिक सामाजिक नीतियों को पूरा कराने के लिए संघर्षरत है। गत 50 वर्षो से भी अधिक समय से किसानों, मजदूरों, नौजवानों, छात्रों, महिलाओं, अल्पसंख्यको, दलितों एवं अन्य पिछड़े और कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा एवं उनके कल्याण के लिए निरन्तर संघर्षरत है। वे गांधी जी, डा. लोहिया और चैधरी चरण सिंह की नीतियों को व्यवहारिक रूप से लागू कर रहे हैं।

वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की आयु में उन्होने डा. लोहिया के आह्वान पर छेड़े गये नहर रेट आंदोलन में भाग लिया और पहली बार जेल गये। विभिन्न आंदोलनों के दौरान वह अनेकों बार जेल गये और तीन वर्ष से अधिक समय तक कारावास में रहे। आपातकाल के दौरान वे 19 माह जेल में रहे। उसके बाद उन्होने अक्टूबर,1992 में किसानों के हितो की रक्षा के लिए राज्यव्यापी आंदोलन चलाया और रामकोला (देवरिया) के गन्ना किसानों पर पुलिस द्वारा गोली चलाये जाने के विरोध में संघर्ष किया तथा जेल गये।

वर्ष 1961-62 में वे इटावा डिग्री कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गये। वर्ष 1980 में उत्तर प्रदेश लोकदल के अध्यक्ष बने। उन्होने आम चुनाव 1989 में जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जनता दल के चुनाव अभियान का पूरी कुशलता के साथ सफल संचालन किया।

यादव वर्ष 1967 में सर्वप्रथम संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जनपद इटावा के जसवंतनगर से उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिये निर्वाचित हुए और सबसे कम उम्र के सदस्य के रूप में विधान सभा के सदस्य बने। वर्ष 1974 में भारतीय क्रांति दल तथा वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 1977 में वह जनता पार्टी सरकार में सहकारिता और पशुपालन मंत्री बने। उनके मंत्रित्वकाल में ही प्रदेश में पहली बार हर स्तर पर सहकारी संस्थाओं में अनुसूचित जातियों का आरक्षण सुनिश्चित किया गया तथा किसानों को दिये जाने वाले सहकारी ऋणों पर ब्याज की दर कम करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।

वर्ष 1982 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए और उन्होने विधान परिषद के विरोधी दल के नेता के रूप में कार्य किया। मार्च 1985 में जब वह लोकदल के टिकट पर चौथी बार विधान सभा के सदस्य चुने गये तब वे विधान सभा में विरोधी दल के नेता भी रहे। यादव पहले व्यक्ति है जिन्हें उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के दोनों सदनों में विरोधी दल का नेता होने का गौरव मिला है।

वर्ष 1989 के आम चुनाव में वह जनता दल के टिकट पर जसवंतनगर क्षेत्र से पुनः विधान सभा में निर्वाचित हुए। यादव 3 दिसम्बर,1989 को जनता दल विधान मण्डल के नेता चुने गये। इसके पश्चात 5 दिसम्बर को उन्होने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप मे शपथ ग्रहण की। यादव वर्ष 1991 के विधान सभा उपचुनाव में जसवंतनगर (इटावा) व तिलहर (शाहजहाॅपुर) से चुनाव लड़े और दोनों स्थानों से भारी बहुमत से विजयी हुए।

मुलायम सिंह यादव भारतीय भाषाओं के समर्थक है। उन्होने सार्वजनिक जीवन से अंग्रेजी हटाने पर विशेष जोर दिया है। अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में यादव ने प्रदेश में सरकारी तथा अर्धसरकारी सभी कार्यालयों में कड़ाई से हिन्दी को अपनाने के लिए निर्देश दिये। उर्दू को रोजी-रोटी से जोड़ने का काम भी उन्होने किया। यादव ने 29 सितम्बर,1992 को समाजवादी पार्टी के गठन की घोषणा की। समाजवादी पार्टी का प्रथम स्थापना सम्मेलन 04 नवम्बर,1992 को लखनऊ में हुआ जिसमें पार्टी का संविधान पारित किया गया और उसके कार्यक्रम एवं नीतियों की घोषणा की गयी। राजनीति में इसे एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। समाजवादी विचारों को आगे बढ़ाने के लिए ही समाजवादी पार्टी की स्थापना हुई है। आज जब फिर से वैचारिक बहस कर राजनीतिक दिशा को भ्रमित करने की कोशिशें हो रही हैं जब तमाम झंझावातों से निबटते हुए एक सशक्त विकल्प के रूप में समाजवादी विचार को प्रस्तुत करने के लिए समाजवादी पार्टी प्रस्तुत है। नवम्बर, 1993 के विधान सभा चुनाव में यादव पुनः निर्वाचित हुए। उन्हें समाजवादी पार्टी विधान मण्डल दल का नेता चुना गया। श्री यादव ने 4 दिसम्बर,1993 को दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

मई 1996 के लोकसभा चुनाव में प्रथम बार श्री यादव मैनपुरी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और 01 जून,1996 को प्रधानमंत्री श्री एच.डी. देवगौड़ा के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में रक्षामंत्री के रूप में सम्मिलित हुए। यादव अक्टूबर,1996 के उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव में बदायूॅ जनपद के सहसवान क्षेत्र से भारी बहुमत से विजयी हुए किन्तु बाद में विधान सभा सदस्यता से त्याग पत्र देकर वे लोकसभा के सदस्य एवं रक्षामंत्री बने रहे।

कांग्रेस पार्टी द्वारा संयुक्त मोर्चा की इन्द्र कुमार गुजराल सरकार से समर्थन वापस लेने पर फरवरी 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव घोषित किये गये। इन चुनावो में दूसरी बार यादव लोकसभा के सदस्य सम्भल लोकसभा क्षेत्र से भारी मतों से निर्वाचित हुए। यादव पुनः अक्टूबर,1999 के लोकसभा में समाजवादी पार्टी को भारी विजय दिलाने में सफल रहे और वे स्वयं कन्नौज तथा सम्भल दोनो क्षेत्रों से भारी मतों से विजयी रहे।

मुलायम सिंह यादव अगस्त,2003 में भाजपा-बसपा गठबन्धन की सरकार के गिरने के बाद 29 अगस्त,2003 को तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए। इससे पूर्व वे समाजवादी पार्टी विधान मण्डल दल के नेता सर्वसम्मति से चुने गये। इस बीच उन्होने लोकसभा की सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया और जनपद बदायूॅ में विधान सभा क्षेत्र गुन्नौर से भारी बहुमत से जीत कर विधान सभा चुनाव में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।

यादव 14वीं लोकसभा के लिए चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व करते हुए मई,2004 में मैनपुरी से तीन लाख अड़तीस हजार मतों के भारी बहुमत से सांसद निर्वाचित हुए थे। किन्तु समाजवादी पार्टी के निर्णय को स्वीकार करते हुए वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे। पुनः 2010 और 2014 में वे लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। उनके नेतृत्व में ही वर्ष 2012 के विधान सभा चुनावो में समाजवादी पार्टी को भारी जीत मिली और समाजवादी सरकार के मुख्यमंत्री पद पर श्री अखिलेश यादव निर्वाचित हुए। राज्य के सफलतम मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश यादव राज्य को उत्तम प्रदेश बनाने के सपने को पूरा करने को कटिबद्ध हैं।

मुलायम सिंह यादव को उनके प्रशंसक और पार्टी कार्यकर्ता “नेताजी“ के सम्मानित नाम से पुकारते है। उनमें साहस, संकल्प और जनता से जुड़ाव जैसे नेतृत्व के ये सभी गुण मिलते हैं। प्रारम्भिक शिक्षाकाल में ही उन्होने एक अनुसूचित जाति के मित्र के घर खाना खाया और जाति प्रथा की खिलाफत की फलस्वरूप जाति बहिष्कार की पीड़ा भी सहनी पड़ी। 29/30 अक्टूबर,1990 को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के लिए तथाकथित कार सेवकों से बाबरी मस्जिद की रक्षा की। विरोधियों ने मुल्ला-मौलवी तक कहा। वर्ष 1991 में उन्हे अपनी सरकार गंवानी पड़ी थी।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2007 से 2012 तक बहुजन समाज पार्टी का कुशासन चला। लूट, हत्या, अपहरण और भ्रष्टचार की बढ़ती घटनाओं के अलावा पार्को, स्मारको के निर्माण पर खजाना लुटा दिया गया। समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं का उत्पीड़न प्रारम्भ हो गया। खुद नेताजी पर तत्कालीन बसपा मुख्यमंत्री की शह पर एक दिन में 150 मुकदमे लगा दिए गए। जब स्थिति ज्यादा बिगड़ने लगी तो मुलायम सिंह यादव ने विरोध प्रदर्शनों की कमान सम्हाली और बसपा के अंधेरराज का खात्मा किया।

यादव विकास के मार्ग में सांप्रदायिकता को बड़ा खतरा मानते हैं। उन्होने पूरी शक्ति लगाकर सांप्रदायिक ताकतों से हर स्तर पर मोर्चा लिया है। अल्पसंख्यको की भाषा, संस्कृति पूजा पद्धति, परम्परा के रक्षा की पूरी गारंटी समाजवादी पार्टी ही देती रही है इसलिए प्रदेश का अल्पसंख्यक समाज मानता है कि उसके हितों की रक्षा नेताजी और समाजवादी पार्टी ही करती है।

नेताजी ने किसान, नौजवान, पिछड़ो और गरीबों को अपने कार्यक्रमों और योजनाओं में हमेशा प्राथमिकता दी है। वे किसानों की दुर्दशा पर द्रवित हो उठते हैं। किसानों को संकट से बाहर निकालने के लिए अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में उन्होने 70 प्रतिशत बजट गांव और किसान के लिए रखा था। किसानों के प्रति उनमें विशेष लगाव है। भूमिहीन किसानों को उन्होने भूमिसेना के जरिए कृषि भूमि उलपब्ध कराई। किसानों को उनके उत्पादन का लाभकारी मूल्य दिलाने में वे हमेशा आगे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रो में महिलाओं के लिए शौचालयों की व्यवस्था की। लड़कियों की पढ़ाई में बाधा न पड़े इसलिए कन्या विद्याधन योजना चलाई और नौजवानों को बेकारी के दिनों में जीवन निर्वाह के लिए बेरोजगारी भत्ता देने की योजना लागू की।

यादव की जनहित की सोच के फलस्वरूप 12वीं कक्षा तक मुफ्त पढ़ाई और अस्पतालो में एक रूपए के पर्चे पर मुफ्त दवाई की व्यवस्था हुई है। मण्डल आयोग की सिफारिशें लागू कराने और पिछड़ों को नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के लिए वर्षो आंदोलन चलाया। अनुसूचित जातियों का कोटा भी 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 21 प्रतिशत कर दिया। 10 हजार अम्बेडकर गांवो के विकास कार्यक्रम को सर्वप्रथम श्री मुलायम सिंह यादव ने ही लागू किया। छोटे किसानों को पेंशन देने के साथ महिला सफाई कर्मचारियों को कई राहते दी। कुम्हार, निषाद, राजभर आदि 17 अतिपिछड़ी जातियों को तमाम सुविधाएं दी।

मुलायम सिंह यादव गांव से एक प्रमुख राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरकर राजनीति के शिखर पर पहुॅचे है। जब वे युवा थे तब उनकी कर्मठता और संघर्षशीलता से प्रभावित होकर डा. लोहिया ने उनसे मिलने की इच्छा जताई थी। नेताजी में निर्णय लेने और उसपर टिके रहने की दृढ़ता है। समाजवाद में उनकी अनन्य आस्था है। धर्मनिरपेक्षता उनके विश्वास की आधारशिला है। उन्होने न केवल समाजवादी आंदोलन को अपितु देश की राजनीति को भी एक नई दिशा दी है। वह गरीबों की, वंचितो की और पिछड़ों की आवाज है। राजनेता के साथ शिक्षक और समाज सुधारक की भूमिका में भी उनकी गहरी छाप है। वे आम जनता के प्रति संवेदनशील ऐसे नेता हैं जिनका विरोधी भी सम्मान करते हैं।

लेखक:- राजेन्द्र चैधरी, कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता समाजवादी पार्टी, उत्तर प्रदेश 

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