लखनऊ : भाजपा की गठित होने वाली नई कार्यकारिणी मैं युवाओ को मौका दिया जाएगा। लेकिन इस कार्यकारिणी में बहुत ज्यादा बदलाव की संभावना कम ही दिख रही है। इतना जरूर है कि पिछले दो प्रदेश अध्यक्षो के कार्यकाल से अब तक जमे हुए मीडिया विभाग के पदाधिकारियों का पत्ता साफ होना तय है। इन पदाधिकारियों पर हाल के दिनो मे कई शिकायतें भी सामने आई हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने गत अगस्त महीने में प्रदेश की जिम्मेदारी संभाली थी लेकिन तब से अब तक संगठन के लगातार कार्यक्रमो और हाईकमान की चुनावी व्यस्तताओं के कारण प्रदेश कार्यकारिणी गठन का काम अधूरा पड़ा है लेकिन इस महीने इस काम ने गति पकड़ी है। सब कुछ दिल्ली में ही तय होना है परंतु पद की लालसा में जिलों से कार्यकर्ता आकर लखनऊ में डेरा डाले हैं।
प्रदेश में पार्टी की सरकार होने के कारण पद पाने की होड़ है। कार्यकारिणी के गठन के बाद प्रकोष्ठों का भी गठन किया जाना है। हांलाकि इस बार प्रकोष्ठों की संख्या कम ही होने की उम्मीद है।
सबसे ज्यादा इस बार हाईकमान का फोकस मीडिया टीम के धुरंधर ‘मिडियाबाजो’ पर है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनाव में यू पी से 80 सीट हासिल करने का लक्ष्य है।
पार्टी रणनीतिकार जानते हैं कि प्रचार प्रसार का चुनाव में महती भूमिका होती है इसलिए वो वर्तमान मीडिया पदाधिकारियों से छुट्टी पाना चाहती है। ये पूरी टीम पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी के समय से अब तक इन महत्वपूर्ण पदों पर कुंडली मारे बैठे हुए हैं। यही नही, वर्तमान पदाधिकारी पार्टी का प्रचार कम और खुद का प्रचार अधिक करने में दिलचस्पी रखते आये हैं।
सोशल मीडिया पर भी खुद की इमेज को और बेहतर करना इनका लक्ष्य रहता है। हाल के दिनों में दिल्ली हाईकमान की एक टीम ने इनके फेसबुक आदि को जब खंगाला तो ये सच्चाई सामने आई जिसके बाद से ऐसे पदाधिकारियों पर निगाह तिरछी है।
भाजपा की जल्द घोषित होने वाली कार्यकारिणी में पूर्वांचल के दबदबा होने की पूरी संभावना जताई जा रही है। यही नही, संघ से जुड़े कुछ लोगों की सीधे पार्टी में जिम्मेदारी देने की भो रणनीति पर विचार चल रहा है।
रिपोर्ट – शाश्वत तिवारी