लखनऊ- क्या वजह है कि जिस मेन संगठन के अखिलेश यादव प्रदेश अध्यक्ष थे। उनके किसी भी पदाधिकारी, सदस्य ने आज तक इस्तीफा नहीं दिया। और ना ही आज तक अखिलेश यादव के समर्थन में किसी महिला पदाधिकारी ने ही अपना पद छोड़ा। इसका मतलब तो ये हुआ की ये सब अखिलेश यादव के हटाये जाने के समर्थन में है।
अब तक जिन भी युवा नेताओ को हटाया गया और जो भी इस्तीफे दे रहे है। इन सबकी दबंगई/धनउगाही की शिकायते पहले ही नेताजी के पास थी। नेताजी ने कई बार स।र्वजनिक मंच से चेताया भी था। इन सब का हटना तो पहले ही तय हो गया था। अखिलेश की ख़ामोशी इस की गवाही है।
CM अखिलेश के 7 करीबियों को पार्टी से निकाला
बता दें कि मुलायम सड़कों पर नारेबाजी करने वाले युवा नेताओं से सख्त नाराज बताए जाते हैं। उनके निर्देश पर अखिलेश के करीबी जिन सात नेताओं को पार्टी से बर्खास्त किया गया उनमें तीन एमएलसी सुनील सिंह साजन, आनंद भदौरिया और संजय लाथार के अलावा मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद ऐबाद, समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष ब्रिजेश यादव, मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव दुबे और समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह शामिल हैं। मुलायम सिंह ने शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया तो पार्टी के युवा संगठन उसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए। वे शिवपाल यादव को हटाकर अखिलेश यादव को अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे थे।
समाजवादी लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने मुलायम के नाम अपने खत में लिखा है कि ”जिस दिन से शिवपाल यादव प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, पूरे प्रदेश के नौजवान घुटन महसूस कर रहे हैं। और आज नौजवानों के ऊपर हुई कार्रवाई अखिलेश यादव के भविष्य पर बड़ा हमला है। ‘
प्रदीप तिवारी अखिलेश यादव के अलावा किसी को नेता मानने को तैयार भी नहीं हैं। वे कहते हैं ”हम नौजवानों के साथ यह बहुत बड़ी साजिश है। हम नौजवान अपना नेता सिर्फ और सिर्फ अखिलेश यादव जी को मानते हैं। उनके नेतृत्व में काम करेंगे। ”
कोई इस्तीफा न दें
अखिलेश यादव ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की तरफ से लिए गए फैसले का सम्मान करना पार्टी के प्रत्येक पदाधिकारी और कार्यकर्ता की सर्वोच्च जिम्मेदारी है। अखिलेश यादव ने अपील की है कि कोई भी पार्टी पदाधिकारी अथवा कार्यकर्ता न तो प्रदर्शन करे और न ही अपने पद से इस्तीफा दे।
रिपोर्ट- @शाश्वत तिवारी
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