सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वह ताजमहल के स्वामित्व का दावा नहीं करेगा। उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विश्व धरोहर ताजमहल पर मालिकाना हक के लिए अपने स्टैंड को थोड़ा नरम किया है। वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को कहा कि ताजमहल का असली मालिक खुदा है, जब कोई सम्पति वक्फ को दी जाती है, वो खुदा की संपत्ति बन जाती है।
इससे पहले वक्फ बोर्ड का दावा था कि वे खुद ताजमहल के मालिक हैं। वक्फ बोर्ड ने कहा कि उन्हें ASI की ताजमहल की देखरेख जारी रखने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उनका नमाज और उर्स जारी रखने का अधिकार बरकरार रहे।
इस पर ASI ने अधिकारियों से निर्देश लेने के लिए वक्त मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की दावेदारी जताने पर शाहजहां के हस्ताक्षर वाला डॉक्यूमेंट पेश करने को कहा था।
सीजेआई दीपक मिश्रा, जज ए. एम. खानविलकर और जज धनन्जय वाई. चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने वक्फ बोर्ड के वकील से कहा है कि अपनी बेगम मुमताज महल की याद में 1631 में ताजमहल का निर्माण करने वाले शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष में ‘वक्फनामा’ कर दिया था। अगर ऐसा है तो इस दावे के लिए दस्तावेज दिखाए।
वक़्फ़ बोर्ड ने बताया कि ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया। ASI ने भी ऐसी कोई मांग नही की। वक्फ बोर्ड का कहना है कि ताज को वक्फ बोर्ड को सौंपे जाने का विवरण बादशाहानामा में है, जो फिलहाल लंदन म्यूजियम में है।
शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ ताजमहल को प्रदूषित गैसों और वृक्षों की कटाई से होने वाले दुष्प्रभावों से बचाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। शीर्ष अदालत यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल ताजमहल और इसके आसपास के क्षेत्र के विकास की निगरानी कर रही है।