उन्नाव गैंगरेप पीड़िता ने बंदूक लाइसेंस, सरकारी नौकरी और सीएम योगी से मिलने के वादे के पाद अपनी जिद छोड़कर पीड़िता को दफनाया गया।
स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ मंत्री कमलरानी वरुण दुष्कर्म पीड़िता के अंतिम संस्कार में पहुंचीं। वहीं, कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने बताया कि परिवार में एक लोग को उचित नौकरी, परिवार की मांग पर सस्त्र लाइसेंस और मुख्यमंत्री से मिलवाने का वादा किया।
फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई का भी आश्वासन दिया। जिसके बाद परिवार पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मान गया। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी कर पीड़िता का शव दफनाया गया।
इससे पहले, गैंगरेप पीड़िता के घरवाले इस जिद पर अड़े रहे कि मुख्यमंत्री आएंगे तभी अंतिम संस्कार करेंगे। वह पीड़िता की बहन को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे थे। सुबह से ही तमाम लोगों की भीड़ पिता के दरवाजे पर जमा होने लगी है। शनिवार की रात पीड़िता का शव घर पर पहुंचा तो कोहराम मच गया। पूरी रात घरवाले जागते रहे।
प्रशासन ने पीड़ित परिवार को रात को ही अंतिम संस्कार करने का आग्रह किया। श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद समेत तमाम प्रशासनिक अमला बिहार थाने में रात को डटा रहा। पीड़ित परिवार अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं हुआ।
पिता का कहना था कि एक बेटी पुणे में रहती है वह सुबह तक आ जाएगी तभी बेटी का अंतिम संस्कार करेंगे। रविवार की सुबह से ही सुमेरपुर मोड़ से लेकर वीरता के घर तक करीब 2 किलोमीटर पुलिस सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
आईजी जोन डीएम एसपी समेत तमाम अफसर मौके पर सुबह ही डर गए। प्रशासन ने पीड़ित परिवार से अंतिम संस्कार करने को कहा तो उन्होंने पहले बेटी के आने फिर बाद में मुख्यमंत्री के आने की बात कही। पीड़ित परिवार का कहना था कि बेटी के साथ अत्याचार हुआ है।