रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल बुधवार (12 जुलाई) को संसदीय समिति के सामने पेश हुए थे। सांसदों के सामने पटेल ने कहा कि आरबीआई अभी तक नोटबंदी के बाद वापस लौटे नोटों की गिनती नहीं कर पाया है।
पटेल से यह प्रश्न पूछा गया कि नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपये के कितने पुराने नोट 30 दिसंबर तक वापस लौटे। सूत्रों के अनुसार, पटेल ने समिति को बताया कि पुराने नोटों को गिनने का काम लगातार जारी है और केंद्रीय बैंक गिनती के दौरान नकली नोट को छांटती जा रही है और इन नोटों के छांटने के लिए विशेष मशीनों की खरीद की गई है। अभी ऐसी कई मशीनों की खरीद की प्रक्रिया भी चल रही है। उन्होंने गिनती में देरी का दूसरा कारण यह बताया है कि जिला स्तरीय सहकारी बैकों तथा नेपाल से अभी भी पुराने नोट केंद्रीय बैंक के पास लौट रहे हैं।
उन्होंने समिति के समक्ष कहा कि आरबीआई के कर्मचारी नोटों को गिनती के लिए ओवरटाइम कर रहे हैं और मशीनों की मदद भी ली जा रही है। पटेल ने कहा कि कुल 17.7 लाख करोड़ के पुराने नोट वापस लिए गए और 15.4 लाख करोड़ के नए नोट प्रचलन में वापस लौट गए हैं। इस पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुटकी लेते हुए गुरुवार शाम ट्वीट किया कि ‘भारत सरकार गणित का ट्यूटर ढूंढ रही है। कृपया जल्द से जल्द पीएमओ में अप्लाई करें।’
संसद की स्थायी समिति के सामने हाजिर हुए पटेल ने उन 12 उद्योगपतियों का नाम बताने से भी मना कर दिया, जिन पर बैंकों के कुल फंसे हुए कर्जो (एनपीए) का 25 फीसदी तक बकाया है। संसदीय समिति में समाजवादी पार्टी के सदस्य नरेश अग्रवाल आरबीआई गर्वनर के जबाव से असंतुष्ट होकर इस बैठक से निकल गए।
उन्होंने आरबीआई गर्वनर से उन 12 उद्योगपतियों का नाम बताने को कहा था जिनपर देश की बैंकिंग प्रणाली के फंसे हुए कर्जो (एनपीए) का 25 फीसदी बकाया है। संसदीय समिति की इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस नेता एम. वीरप्पा मोइली ने की, जो तीन घंटे तक चली। इसके सदस्यों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे।