महाराष्ट्र विधानसभा में उस समय माहौल गरम हो गया जब समाजवादी पार्टी के विधायक अबु असीम आज़मी ने वंदे मातरम गाने से इनकार कर दिया। गुरुवार को बीजेपी विधायक राज पुरोहित द्वारा सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह किया कि मद्रास हाईकोर्ट के वंदे मातरम को अनिवार्य करने के बाद प्रदेश में भी एक नीति बनाई जाए जिसमें वंदे मातरम को यहां भी अनिवार्य किया जाए।
इस पर अबु आज़मी ने कहा कि मैं कभी भी वंदे मातरम नहीं गाऊंगा भले ही मुझे देश से बाहर क्यों न फेंक दिया जाए। शुक्रवार को विधानसभा की कार्रवाई में आज़मी की इस बात पर बीजेपी विधायक अनिल गोटे ने कहा कि वंदे मातरम गाने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह देशभक्ति का गाना और अबु आज़ंमी जैसे लोगों को इसके खिलाफ नहीं होना चाहिए।
इस पर आज़मी सदन में चिल्लाने लगे जिसके बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता एकांत खड़से ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति देश की मिट्टी में जीता है उसी से खाता है तो इसमें क्या बुराई है। आप यहीं पैदा हुए हैं और आपकी मृत्यु के बाद आपको इसी मिट्टी में दफनाया जाएगा, तो आप क्यों इस मिट्टी के सम्मान के लिए वंदे मातरम नहीं गा सकते।
इस पर अबु आज़मी ने कहा कि वंदे मातरम गाना उनके सिद्धांतों के खिलाफ है लेकिन वे हजार बार हिंदुस्तान कहने के लिए तैयार हैं। मैं केवल वंदे मातरम को अनिवार्य करने के कदम के खिलाफ हूं। अगर मेरी आस्था कहती है कि वंदे मातरम गाना मेरे सिद्धांतों के खिलाफ है तो इसे गाने के लिए मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए।
वहीं आज़मी का साथ देते हुए कांग्रेस विधायक असलम शैख ने कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर वंदे मातरम जबरदस्ती लोगों पर थोंपा जा रहा है। इस मामले को लेकर बीजेपी और विपक्ष के बीच काफी बहसबाजी हुई। आपको बता दें कि वंदे मातरम पर चला रहा विवाद काफी पुराना है। 25 जुलाई को मद्रास हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में हफ्ते में एक दिन वंदे मातरम बजाना जरूरी होगा। इसके साथ ही सरकारी दफ्तरों, संस्थानों, प्राइवेट कंपनी और किसी भी फैक्ट्री में कम से कम एक बार राष्ट्रगान बजाना होगा। मद्रास हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर किसी को वंदे मातरम गाने में दिक्कत है तो उसे बाध्य नहीं किया जाएगा। लेकिन वजह तर्कपूर्ण होनी चाहिए।