आपके मुख्य द्वार के सामने दीवार पर दर्पण नहीं होना चाहिए जिससे सकारात्मक ऊर्जा प्रतिबिम्बित होकर वापस लौट जाती है। आपके मुख्य द्वार के सामने सीधी सड़क नहीं होना चाहिए। यदि ऐसी स्थिति है तो अपने घर के मुख्य द्वार की दिशा बदलें या आप अपने घर के मुख्य द्वार के ऊपर एक पाकुआ दर्पण लगा सकते हैं।
पाकुआ दर्पण की अष्टभुजीय आकृति होती है जिसके बीच में कॉनवैक्स या कॉनकेव दर्पण होता है। इसको हमेशा घर के बाहर टाँगना चाहिए। ध्यान रहे पाकुआ दर्पण घर के अंदर नहीं बाहर की तरफ मुँह करता हुआ लगाना चाहिए। मुख्य द्वार के ठीक आगे कोई प़ेड, रहृकावट दीवार इत्यादि भी नहीं होनी चाहिए।
मुख्य द्वार के ठीक सामने शौचालय नहीं होना चाहिए
मुख्य द्वार के ठीक सामने अंदर की तरफ या बाहर की तरफ शौचालय नहीं होना चाहिए। मुख्य द्वार के बगल में भी शौचालय नहीं होना चाहिए। शौचालय नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करते हैं जो मुख्य द्वार से आती हुई सकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देते हैं। आप शौचालय का द्वार मुख्यद्वार के सामने से बंद करके दूसरी दिशा में खोल सकते हैं। अगर द्वार की स्थिति बदलना संभव न हो तो मुख्य द्वार और शौचालय के द्वार के बीच में कोई ठोस अवरोध लगा सकते हैं।
पानी को मुख्य द्वार के पास रखिए
मुख्य द्वार के पास पानी होना बहुत ही मंगलकारी माना गया है। विशेष रूप से ये उत्तर-पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशा के द्वार के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। पानी के पात्र को द्वार के बाईं ओर रखना चाहिए न कि दाईं ओर। यानी जब आप घर के अंदर खडे हों और बाहर की ओर देख रहे हों, तो आपकी बाईं ओर।
पानी का पात्र मछलीघर, फव्वारा या पानी के चित्र के रूप में हो सकता है। द्वार के दाईं ओर पानी रखने से घर का पुरहृष किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित हो सकता है और आपके वैवाहिक जीवन में दरार पड़ सकती है। द्वार के दोनों ओर कभी भी पानी का पात्र न रखें, क्योंकि ये दोनों आँखों में आँसू लाने के आँसू लाने के समान है।
मुख्य द्वार के सामने आईना न लगाएँ
मुख्य द्वार के सामने अंदर की तरफ आईना लगाना गलत है। ऐसा करने पर घर के अंदर प्रवेश करने वाली ृची’ परावर्तित होकर द्वार से बाहर निकल जाती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मुख्य द्वार के ठीक सामने अंदर कोई दीवार हो। पर फिर भी उस पर आईना न लगाएँ और दीवार पर ऊपर से नीचे तक गहराई का आभास देने वाला कोई प्राकृतिक दृश्य चित्र लगाएँ। यह जंगल में दूर-दूर तक दिखाई देने वाली सड़क या पगडंडी का कोई दृश्य चित्र भी हो सकता है।
घर में एक सीध में तीन द्वार न रखें
किसी भी मकान में एक सीध में तीन द्वार होना बहुत दोषपूर्ण है, क्योंकि इन द्वारों में ृची’ बहुत तेजी से घुसकर उतनी ही तेजी से आखिरी द्वार से बाहर निकल जाती है। इसकी वजह से आखिरी कमरे में रहने वाले लोग बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इस दोष से छुटकारा पाने के लिए बीच वाले द्वार की जगह बदल देनी चाहिए।
मुख्य द्वार की तरफ पीठ करके न बैठें
कभी भी अपने ऑफिस या कमरे के मुख्य द्वार की तरफ पीठ करके न बैठें। पेंहृग शुई में कहा है कि कभी भी मुख्य द्वार की तरफ पीठ करके न बैठें जिससे आपको ये पता लगता रहे कि ऑफिस में क्या हो रहा है, कौन आ रहा है इत्यादि। कभी भी खिड़की की तरफ पीठ करके न बैठे जब तक कि आपकी खिडकी के पीछे कोई दीवार आदि न हो।
आपकी पीठ पीछे कोई खुली किताबों की रैक भी नहीं होनी चाहिए। अगर आप खिडकी की तरफ पीठ करके बैठे हों तो यह ध्यान रखिए कि आपकी खिडकी के पीछे कोई ऊँची दीवार या ऊँची बिल्डिंग होनी चाहिए जो याँग ऊर्जा का प्रतीक है।