दक्षिण अमेरिका का सबसे अमीर देश रहा वेलेजुएला, आज बदहाल हालत में है। तेल के मामले में समृद्ध होने के बावजूद यह देश सरकार के गलत सामाजिक प्रयोगों का शिकार हो गया और आज हालात ये हैं कि यहां के नागरिकों के खाने के भी लाले पड़ गए हैं।
वेनेजुएला के पेशेवर लोग अब यहां के अस्पतालों और यूनिवर्सिटीज को छोड़कर दूसरे देश पलायन कर रहे हैं। जो पेशेवर वेनेजुएला में हैं, उनके हालात बेहद बुरे हैं।
खबर है कि वेनेजुएला के वकील मजदूर या फिर सेक्स वर्कर के तौर पर काम करने के लिए मजबूर हैं। वहीं कभी ब्यूरोक्रेट स्तर के अधिकारी रहे लोग अब घरों में नौकर के तौर पर काम कर रहे हैं।
कंगाली के कगार पर पहुंच चुके वेनेजुएला से आज हर दिन करीब 5000 लोग दूसरे देश पलायन कर रहे हैं। लोगों का इतनी बड़ी संख्या में पलायन लैटिन अमेरिकी इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा पलायन है।
एमनेस्टी इंटरनेशन के अधिकारियों का कहना है कि वेनेजुएला का डोमेस्टिक मानवाधिकार संकट आज पूरे दक्षिण अमेरिकी क्षेत्र का मानवाधिकार संकट बन गया है। दरअसल वेनेजुएला से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर पड़ोसी मुल्कों की तरफ पलायन कर रहे हैं।
वेनेजुएला की समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित उसका पड़ोसी और कैरेबियाई देश त्रिनिदाद और टैबेगो हुआ है। वेनेजुएला के लोग बड़ी संख्या में त्रिनिदाद और टैबेगो की सीमा में चोरी-छिपे घुस रहे हैं, जिससे त्रिनिदाद की अर्थव्यवस्था पर भी भारी बोझ पड़ रहा है।
चूंकि वेनेजुएला के पड़ोसी देश भी इस स्थिति में नहीं है कि वह बड़ी संख्या में लोगों को अपने यहां शरण दे सकें, इसलिए पड़ोसी देशों में अवैध रुप से घुसने की कोशिश कर रहे वेनेजुएला के लोग मानव तस्करी, जिस्मफरोशी समेत कई तरह के शोषण का शिकार हो रहे हैं।
बता दें कि 1950 से लेकर 1980 तक वेनेजुएला आर्थिक रुप से बेहद सशक्त देश हुआ करता था। लेकिन तेल के कारोबार में गिरावट और मुद्रा संकट के चलते वेनेजुएला गंभीर आर्थिक संकट में घिरता चला गया।
ह्यूगो शावेज साल 1999 में वेनेजुएला के राष्ट्रपति बने थे, जिन्होंने सामाजिक विकास के मॉडल को अपनाने की कोशिश की। इसके तहत वेनेजुएला के कई निजी बिजनेस बर्बाद हो गए और कई बिजनेस सरकार द्वारा राष्ट्रीयकृत कर दिए गए। बाद में यूनियनों की राजनीति के चलते वेनेजुएला का औद्योगिक विकास बुरी तरह प्रभावित हुआ।
वेनेजुएला के मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस मादुरौ के सत्ता में आने के बाद से देश के हालात और ज्यादा बिगड़े हैं। कभी एक बस ड्राइवर और बाद में यूनियन लीडर रहे निकोलस मादुरौ की सरकार में भ्रष्टाचार ने देश को बर्बादी की राह पर धकेल दिया है। देश की एलीट क्लास पहले ही देश छोड़कर जा चुकी हैं। अब सिर्फ लाचार मध्यम वर्ग और गरीब जनता ही देश में बची है, जो कि धीरे-धीरे देश से निकलने का प्रयास कर रही है।