केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को सख्त आदेश दिए कि अंतर-धार्मिक विवाह से जुड़े हर मामले को लव जिहाद का नाम नहीं दिया जाए। कोर्ट ने पुलिस से यह कहा कि वे ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो शादी करने वाले लड़के-लड़कियों को समुदाय के खिलाफ जाने के चलते प्रताड़ित करते हैं।
दरअसल, कोर्ट ने अनीश अहमद नाम के शख्स की याचिका पर सुनवाई करने हुए ये बात रखी। अनीश का आरोप है कि उसने श्रुति नाम की लड़की से शादी की थी और अब उसे कही गायब कर दिया गया है। अनीश का कहना है कि श्रुति को ऐसी जगह ले जाया गया है जहां उसे शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है, ताकि वो ये शादी तोड़ दे।
कोर्ट ने कहा कि हम हर शादी को लव जिहाद और घर वापसी जैसे मामलों से नहीं जोड़ सकते। कोर्ट ने आगे कहा कि ये आगाह किया जाता है कि अंतर-धार्मिक विवाह के हर मामले को एक धार्मिक प्रचार से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक हर ऐसे मामले को सनसनीखेज ढंग में पेश किया जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक अनीश और श्रुति ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की है, जिसके मुताबिक वे दोनों अपने धर्म को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं होंगे। वहीं पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि चाहे मामला किसी भी समुदाय से जुड़ा हो उनकी तरफ से पीड़ितों की हर मदद की जा रही है। पुलिस ने आर्टिकल 25 (1) का हवाला देते हुए कहा हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि विश्व हिंदू परिषद की ओर से मुहिम चलाई जा रही है, जिसका नाम हिंदू हेल्पलाइन रखा गया है, वहीं ईसाई समुदाय की ओर से ‘सेव’ नाम की मुहिम चलाई जा रही है। यहां लड़कियों को लव जिहाद से दूर रखने की कोशिश की जाती है।