नई दिल्लीः संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के लगभग 17 मिनट बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भाषण दिया। अपने 50 मिनट के भाषण में खान ने भारत की एक गलत और मनगढ़त छवि पेश करने की कोशिश की। जिससे कि अतंरराष्ट्रीय बिरादरी को गुमराह किया जा सके। इसका शनिवार को विदेश मंत्रालय की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने करारा जवाब दिया।
मैत्रा ने राइट टू रिप्लाई के तहत पाकिस्तान के हर झूठ से पर्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इमरान खान का भाषण नफरत से भरा हुआ था और उनकी कही हर बात झूठी है। उन्होंने अतंरराष्ट्रीय मंच का गलत इस्तेमाल करते हुए गुमराह करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने खुलेआम वैश्विक आतंकी ओसामा बिन लादेन का बचाव किया था। उनका परमाणु को लेकर दिया गया बयान गैर जिम्मेदाराना है। खान ने कश्मीर राग अलापते हुए कहा था कि हमारे पास हथियारों को उठाने या परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाएगा।
भारत ने पाकिस्तान से पूछे ये पांच सवाल
क्या पाकिस्तान इस बात को स्वीकार करेगा कि वह दुनिया का अकेला ऐसा देश है जो ऐसे व्यक्ति को पेंशन देता है जो यूएन की अल-कायदा और दाएश प्रतिबंधित सूची में नामित है?
प्रधानमंत्री इमरान खान ने यूएन पर्यवेक्षकों को पाकिस्तान आने का न्यौता दिया है कि वह आएं और देखें कि वहां अब कोई आतंकी संगठन नहीं है। क्या वह अपने इस वादे को निभा पाएगा?
क्या पाकिस्तान इस बात को स्वीकार कर सकता है कि वह यूएन द्वारा नामित 130 आतंकवादी और 25 आतंकी संगठनों का घर है?
क्या पाकिस्तान बता सकता है कि यहां न्यूयॉर्क में उसके प्रमुख बैंक हबीब बैंक को आतंकवाद के वित्त पोषण पर लाखों डॉलर के जुर्माने के बाद अपनी दुकान बंद करनी पड़ी?
क्या पाकिस्तान इससे इनकार करेगा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल ने देश को 27 प्रमुख मानकों में से 20 से अधिक के उल्लंघन के लिए नोटिस दिया?
मैत्रा ने कहा, ‘मानवाधिकार की बात करने वाले पाकिस्तान को सबसे पहले पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत देखनी चाहिए जिनकी संख्या 23 प्रतिशत से 3 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वहां ईसाई, सिख, अहमदिया, हिंदू, शिया, पश्तून, सिंधी और बलोच पर सख्त ईशनिंदा कानून लागू किए जाते हैं, उनका उत्पीड़न और जबरन धर्मांतरण किया जाता है। पाकिस्तान को इतिहास नहीं भूलना चाहिए और याद रखना चाहिए कि 1971 में उसने अपने ही लोगों का नरसंहार किया था।’
पाकिस्तान ने बनाई आतंकवाद की इंडस्ट्री
उन्होंने कहा, ‘बंदूके उठा लेना मध्यकालीन मानसिकता को दिखाता है न की 21वीं सदी की। कभी क्रिकेटर रहे इमरान खान जो जेंटलमैन के गेम की बात करते थे, आज बंदूकें उठाने और युद्ध की बात करते हैं। भारत के नागरिक नहीं चाहते कि कोई और उनकी तरफ से बोले। खासतौर से वह जिसने नफरत की सोच के साथ आतंकवाद की इंडस्ट्री बनाई है। ऐसा देश जो आतंकवाद और नफरत को मुख्यधारा में शामिल कर चुका है वो अब मानवाधिकारों का चैम्पियन बनकर अपने वाइल्डकार्ड इस्तेमाल करना चाहता है।’