राजस्थान के अलवर में कथित गौरक्षकों ने गोतस्करी के आरोप में हरियाणा के रहने वाले पशुपालक पहलू खान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। पहलू खान का बेटा अपने पिता के साथ हुए सलूक के कारण गुस्से और निराशा में है।
पहलू खान के बेटे अरशद ने शुक्रवार को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में कृषि संकट, काऊ पॉलिटिक्स (गाय पर राजनीति) और लिंचिंग (हत्या) पर बोलते हुए उसने कहा, “मुसलमानों को कुछ लोग बोलते हैं पाकिस्तान जाने को…पर मैं इस देश में पैदा हुआ था और इस देश का हूं।” डेयरी उत्पादन कोई नया पेश नहीं है।
हमारे पास सभी दस्तावेज थे। हमारे लिए भी (मुस्लिमों) गाय माता है, लेकिन इसके लिए आपको किसी भी इंसान की जान नहीं लेनी चाहिए। मेरे पिता की हत्या को तीन महीने हो गए लेकिन न्याय के आसपास कोई भी बातचीत नहीं हुई।
इस चर्चा के दौरान प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर डी एन झा, जिन्होंने “द माइथ ऑफ द होली काऊ” लिखी और जेएनयू के प्रोफेसर मौजूद रहे। झा ने अपनी पुस्तक में दिए गए तर्कों को संक्षेप में बताते हुए कहा कि हमारे पूर्वज गोमांस खाने के पक्ष में थे। वैदिक काल में बलिदान हाथों से होता था। भारत माता, गोमाता और हिदुत्व 19वीं सदी की अवधारणा है। हमें इसकी पुरातनता पर सवाल करना चाहिए।
बता दें कि 1 अप्रैल को राजस्थान के अलवर में कथित गौरक्षकों ने गाय तस्करी के आरोप में पहलू खान और उसके साथियों को पकड़ने के बाद बुरी तरह से पीटा था। जिसके बाद पहलू खान और उसके चार अन्य साथियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां, पहलू खान की मौत हो गई थी।
यह मुद्दा मीडिया में भी सुर्खियों में रहा। इस घटना का वीडियो भी सामने आया था। हाल ही में सीपीएम नेता वृंदा करात ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ पहलू खान के परिवार से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद वृंदा करात ने कहा कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ न सिर्फ कार्रवाई की जाएगी बल्कि सरकार गोरक्षा के नाम पर लोगों की हत्या करने वालों के खिलाफ है।