बुरहानपुर: शहर में 35 हजार पावरलूम व उनके बुनकरों को शहर से बाहर पुनर्वास करने की योजना 12 साल से ठंडे बस्ते में पडी है। बुनकरों और पावरलूम से जुडे लोगों को अपने बेहतर पुनर्वास का बेसब्री से इंतजार है। प्रशासन ने दोबार पुनर्वास योजना का प्रस्ताव शासन को भेजा है। शासन ने डीपीआर बनाने के आदेश जारी किए है।
देश के पावरलूम सेंटरों में शुमार व मप्र का सबसे बडा पावरलूम सेंटर बुरहानपुर शहर में 35 हजार से ज्यादा पावरलूम घर घर में संचालित होते है। पावरलूम और इस पर काम करके गुजर बसर करने वाले परिवार के उत्थान के लिए तत्कालीन दिग्विजय सरकार के समय शहर से बाहर अलग से पावरलूम नगरी बसाने के लिए शहर के पास बसाड गांव में 70 हेक्टयर जमीन में पुनर्वास किए जाने की योजना को मंजूरी मिली थी।
इस जमीन के उबड खाबड होने के चलते तत्कालीन सीएम ने बुरहानपुर में ही बंद हो चुकी बहादपुर सूत मिल की जमीन पर पावरलूम व बुनकरों के पुनर्वास करने के प्रशासन को आदेश दिए थे। लेकिन ना ना कारणों से बुनकरों की पुनर्वास योजना ठंडे बस्ते में पडी रही और बुनकरों को इसका लाभ नहीं मिला।
पावरलूम से जुडे लोगो के अनुसार बहादरपुर सूत मिल की जमीन पर सत्ता से जुडे रसुखदारो व भूमाफियो की नजर लग गई थी। लिहाजा मामला फिर खटाई में पड गया।
विभिन्न संगठनों ने कलेक्टर के माध्यम से सीएम शिवराजसिंह चैहान को दोबार पुनर्वास योजना लागू करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। लेकिन उसका भी अभी तक कोई अता पता नही।
शहर से बाहर पावरलूम व बुनकरों के पुनर्वास का सबसे ज्यादा लाभ बुनकरों के स्वास्थ्य पर पडेगा साथ ही उनकी कार्यक्षमता में वृध्दि व नित नई तकनीक से परिचय होगा।
जानकारों का दावा है शहर में पावरलूम संचालित होने से एशिया में सबसे ज्यादा लगभग 12 प्रतिशत बुनकर टीबी रोग और अंतर्राष्ट्रीय सासं की लाईलाज बीमारी सीओपीडी के शिकार हो रहे है। जिला प्रशासन शहर से पावरलूमों को बाहर शिफ्ट करने के लिए गंभीर दिखाई दे रहा है।
कलेक्टर ने बुनकर संगठनों द्वारा पावरलूम व बुनकरों के लिए तैयार पुनर्वास योजना के प्रस्ताव को शासन को भेजा है। शासन ने योजना की डीपीआर बनाने का आदेश दिया है। यह जिम्मा ट्राई फाई संस्था को दिया गया है। रिपोर्ट – जफ़र अली