नई दिल्ली – ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर विश्व की छह महाशक्तियों के साथ लंबे समय तक चली बातचीत का पॉजिटिव नतीजा निकला है, जिससे ईरान को अपना कच्चा तेल इंटरनैशनल मार्केट में खुले तौर पर एक्सपोर्ट करने की इजाजत मिलेगी।
इससे तेल की कीमतों में गिरावट का एक और दौर शुरू हो सकता है। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले दिनों में कच्चा तेल की कीमत मौजूदा दर से आधी कीमत तक गिर सकती है। कई सालों की बातचीत के बाद ईरान और अमेरिका सहित 6 बड़ी ताकतों के बीच स्विट्जरलैंड में सहमति बनी, जो 30 जून तक संधि का शक्ल लेगी।
सहमति के तहत ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए तैयार हो गया है और अमेरिका तथा अन्य देशों ने उस पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने पर सहमति दी है। भारत को इससे चौतरफा फायदा होगा।
भारत वार्षिक आधार पर ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। माना जाता है कि अमेरिका के दबाव में भारत ने तेहरान से आयात किए जाने वाले तेल की मात्रा में काफी कटौती की है।
रपटों के मुताबिक, दशक में पहली बार भारत ने मार्च में ईरान से तेल का आयात नहीं किया। ईरान पर लगी मौजूदा पाबंदी की वजह से वह प्रतिदिन 10 लाख से 11 लाख बैरल तेल का निर्यात नहीं कर सकता। इस सहमति का भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्वागत किया है और कहा है कि भारत ने हमेशा ही इस बातचीत को समर्थन दिया है।
विश्व आर्थिक और कूटनीतिक बिरादरी में ईरान के शामिल होने से भारत के लिए अब ईरान से रिश्ते बना कर मध्य एशिया तक पहुंचना आसान होगा। भारत ईरान का साथ लेकर अफगानिस्तान के लिए अपनी रणनीति लागू कर सकेगा। भारत को मध्य एशिया के बाजार तक पहुंचने के लिए ईरान का सहयोग पा सकेगा। भारत ईरान के चाहबहार बंदरगाह का इस्तेमाल कर अपनी पहुंच बढ़ा सकेगा।