नई दिल्लीः सोशल इंस्टैंट मल्टीमीडिया मैसेजिंग एप व्हाट्सएप की जासूसी को लेकर बड़ा बवाल हुआ है। व्हाट्सएप ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि इसी साल मई में भारत के कुछ पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप चैट की जासूसी हुई है। व्हाट्सएप ने इसकी जानकारी अमेरिकी कोर्ट में दी है। मुकदमे में दी गई जानकारी के मुताबिक एक इजरायली फर्म ने एक स्पाइवेयर (जासूसी वाले सॉफ्टवेयर) के जरिए भारतीय यूजर्स की जासूसी की है।
वहीं भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस संबंध में व्हाट्सएप से जानकारी मांगी है। अभी तक सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों के व्हाट्सएप की हैकिंग हुई है या जासूसी हुई है उनमें मुख्य रूप से मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील और पत्रकार हैं, जो आदिवासियों और दलितों के लिए अदालत में सरकार से लड़ रहे थे या उनकी बात कर रहे थे।
अभी तक सामने आईं रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के 10 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी जासूसी हुई है। यह बात उन्होंने व्हाट्सएप के हवाले से कही है। जिन लोगों की जासूसी हुई है उनमें बेला भाटिया, भीमा कोरेगांव केस में वकील निहाल सिंह राठौड़, जगदलपुर लीगल एड ग्रुप की शालिनी गेरा, दलित एक्टिविस्ट डिग्री प्रसाद चौहान, आनंद तेलतुम्बडे, शुभ्रांशु चौधरी, दिल्ली के आशीष गुप्ता, दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सरोज गिरी, पत्रकार सिद्धांत सिब्बल और राजीव शर्मा के नाम भी शामिल हैं।
जासूसी के लिए किस सॉफ्टवेयर का हुआ इस्तेमाल?
इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप (NSO) पर इस हैकिंग का आरोप लगा है। खबर है कि कंपनी ने इसके लिए Pegasus नाम के स्पाईवेयर (सॉफ्टवेयर) का इस्तेमाल किया है। पिगासस सॉफ्टवेयर के जरिए दुनियाभर के करीब 1,400 लोगों को शिकार बनाया गया है। बता दें कि पिगासस सॉफ्टवेयर साल 2016 में उस समय चर्चा में आया था जब एंटी वायरस सॉफ्टवेयर और सिक्योरिटी फर्म kaspersky ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा था कि पिगासस एक बहुत ही बड़ा जासूसी सॉफ्टवेयर है और इसकी मदद से आईफोन-आईपैड से लेकर किसी भी एंड्रॉयड फोन को हैक किया जा सकता है।
इस सॉफ्टवेयर के जरिए किसी भी फोन पर 24 घंटे नजर रखी जा सकती है। खास बात यह है यूजर्स को इसकी भनक भी नहीं लगती कि उसके फोन में कोई जासूसी एप या सॉफ्टवेयर है। पिगासस सॉफ्टवेयर के जरिए किसी भी फोन को पूरी तरह से कब्जे में लिया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी करने के लिए लोगों को वीडियो कॉल किए गए।
बता दें कि जिस पिगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल व्हाट्सएप की जासूसी करने में हुई है। उसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल मध्य प्रदेश के चर्चित हनीट्रैप कांड में हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक बंगलूरू की एक कंपनी नेताओं और अफसर के फोन टैपिंग के लिए पिगासस (Pegasus) सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती थी। यह सॉफ्टवेयर फोन में छिपकर कॉल रिकॉर्डिंग, वॉट्सएप चैटिंग, एसएमएस के साथ अन्य चीजों की सर्विलांस आसानी से कर सकता है।
Pegasus अटैक में हैकर्स यूजर्स के मोबाइल नंबर पर एक टेक्स्ट मैसेज भेजते हैं जिसमें एक वेब लिंक भी होता है। इस लिंक पर क्लिक करते ही आपके फोन की जासूसी शुरू हो जाती है। मैसेज के साथ आए लिंक पर क्लिक करने पर एक वेबपेज खुलता है लेकिन तुरंत बंद हो जाता है। इसके बाद हैकर्स आपकी इसी गलती का फायदा उठाकर आपके फोन में जेलब्रेक (सिक्योरिटी तोड़ने वाला वायरस) डालते हैं।
इसके साथ कई अन्य मैलवेयर भी आपके फोन में चुपके से इंस्टॉल किए जाते हैं। इसके बाद इस सॉफ्टवेयर के जरिए आपके नंबर पर हो रही बातचीत से लेकर, मैसेज, ई-मेल, पासवर्ड, वेब हिस्ट्री और सोशल मीडिया एप्स पर होने वाली हर एक चैटिंग और गतिविधि पर नजर रखी जाती है।
गौर करने वाली बात यह है कि पिगासस सॉफ्टवेयर व्हाट्सएप मैसेज को भी पढ़ सकता है, जबकि व्हाट्सएप मैसेज एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होता है। वहीं पिगासस सॉफ्टवेयर को तैयार करने वाली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने अपनी सफाई में कहा था कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए डाटा इकट्ठा करके वह केवल आतंकवाद या आपराधिक जांच करने के लिए जिम्मेदार सरकारों को ही बेचती है।