शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा है कि जब दिल्ली जब जल रही थी, तब गृहमंत्री अमित शाह कहां थे, क्या कर रहे थे? ऐसा सवाल पूछा जा रहा है, दिल्ली के दंगों में अब तक 38 लोगों की बलि चढ़ गई है और सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है, मान लें केंद्र में कांग्रेस और दूसरे गठबंधन की सरकार होती और विरोधी सीट पर भारतीय जनता पार्टी का महामंडल होता तो दंगों के लिए गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा नहीं गया होता।
नई दिल्ली: देश की राजधानी में हुई भयानक हिंसा में अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिंसा प्रभावितों के लिए मुआवजे की भी घोषणा कर दी है और अब धीरे-धीरे हालात भी सामान्य होते दिख रहे हैं तो वहीं शिवसेना ने एक बार फिर से दिल्ली हिंसा को लेकर देश के गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा है कि जब दिल्ली जब जल रही थी, तब गृहमंत्री अमित शाह कहां थे, क्या कर रहे थे? ऐसा सवाल पूछा जा रहा है, दिल्ली के दंगों में अब तक 38 लोगों की बलि चढ़ गई है और सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है, मान लें केंद्र में कांग्रेस और दूसरे गठबंधन की सरकार होती और विरोधी सीट पर भारतीय जनता पार्टी का महामंडल होता तो दंगों के लिए गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा नहीं गया होता।
पार्टी ने लिखा है कि तब तो बकायदा गृहमंत्री के इस्तीफे के लिए दिल्ली में मोर्चा होता और घेराव का आयोजन किया गया होता, गृहमंत्री को नाकाम ठहराकर ‘इस्तीफा चाहिए’ की नारेबाजी की गई होती लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि भाजपा सत्ता में है और विपक्ष कमजोर है फिर भी सोनिया गांधी ने गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा है।
देश की राजधानी में 38 लोग मारे गए उनमें पुलिसकर्मी भी हैं और केंद्र का आधा मंत्रिमंडल उस समय अमदाबाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को सिर्फ ‘नमस्ते, नमस्ते साहेब’ कहने के लिए गया था। केंद्रीय गृहमंत्री और उनके सहयोगी अमदाबाद में थे, उसी समय गृहविभाग के एक गुप्तचर अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या दंगों में हो गई, लगभग 3 दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शांति बनाए रखने का आह्वान किया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल चौथे दिन अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली की सड़कों पर लोगों से चर्चा करते दिखे तो इससे क्या होगा, जब सब जल गए तो लोगों से पूछने का क्या होगा।
जो होना था वो नुकसान पहले ही हो चुका है, सवाल ये है कि इस दौर में हमारे गृहमंत्री का दर्शन क्यों नहीं हुआ? देश को मजबूत गृहमंत्री मिला है लेकिन वे दिखे नहीं, आखिर थे कहां वो, क्या हमें या जनता को कोई ये बताएगा। यही नहीं शिवसेना ने पूछा है कि 24 घंटे में जस्टिस मुरलीधर के तबादले का आदेश निकाल दिया गया, सरकार ने न्यायालय द्वारा व्यक्त ‘सत्य’ को ही खत्म कर दिया, शाहीन बाग का मामला सरकार खत्म नहीं करा पा रही, सरकार के नेता हेट स्पीच में लगे हैं, इकोनॉमी डाउन है, अर्थव्यवस्था सिसक रही है और सरकारी तंत्र केवल भड़काऊ भाषण में लगा है।