जिसे ढूंढा गली-गली वो हनीप्रीत जीरकपुर में मिली, वो भी 38 दिन के बाद। लेकिन इतने दिन तक वह कहां छिपी रही, इसका सच अब सामने आया है।
पंचकूला में हिंसा कराने और राम रहीम को भगाने की साजिश रचने की आरोपी हनीप्रीत पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए 38 दिन तक पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के अलग अलग शहरों में छिपी रही। इस दौरान उसने बठिंडा और मुक्तसर में 12-12 जबकि गुरसर मोड़िया में 11 दिन रुकी। वह दो दिन सिरसा के अलावा एक दिन दिल्ली में भी रुकी।
वहीं पुलिस को हनीप्रीत तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। इसके बाद उसे पटियाला रोड से सुखदीप कौर के साथ गिरफ्तार किया गया तो पता चला कि वह बठिंडा में थी, लेकिन हिंसा की साजिश की तमाम कड़ियों को जोड़ने के लिए भी आदित्य, पवन, मोहिंदर सहित इसमें शामिल मुख्य आरोपियों तक पुलिस अभी तक नहीं पहुंच सकी है। इसलिए अब उनके खिलाफ वारंट जारी करने की तैयारी है।
दूसरी ओर, हनीप्रीत को पनाह देने के मामले में मुक्तसर के गांव ठांठेवाली से गिरफ्तार 45 वर्षीय गुरमीत सिंह को वीरवार को अदालत में पेश किया गया, जहां उसे जमानत दे दी गई। दो दिन पहले मंगलवार को मुक्तसर से गिरफ्तार गुरमीत के बारे में पंचकूला एसआईटी इंचार्ज ने बताया कि उसने अपने घर में हनीप्रीत को पनाह दी थी, लेकिन उससे किसी तरह के बैग की बरामदगी नहीं हुई है। उसके खिलाफ जमानती धारा के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस के मुताबिक, गुरमीत सिंह का डेरे से सीधा कोई ताल्लुक नहीं है, लेकिन हनीप्रीत को पनाह देने की साजिश में उसे गिरफ्तार किया गया। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने हनीप्रीत की गिरफ्तारी के बाद पंजाब, राजस्थान के कुछ ठिकानों पर छापेमारी की थी और बठिंडा से सुखदीप कौर व उसके बेटे गुरमीत को 16 अक्तूबर को गिरफ्तार किया था। इन्होंने पूछताछ में माना कि उन्होंने अपने घर में हनीप्रीत को पनाह दी थी।
वहीं अब पंचकूला, बठिंडा के बाद मुक्तसर से गुरमीत सिंह नामक शख्स की गिरफ्तारी से बवाल मचा हुआ है। हाल ही में पुलिस को गुरमीत सिंह नाम से पासपोर्ट भी मिले हैं, जिनकी छानबीन जारी है। पुलिस अब हमनाम गुरमीत सिंह के बारे में बारीकी से सभी पहलुओं को खंगाल रही है, ताकि इसका खुलासा हो सके कि कहीं डमी गुरमीत सिंह के तौर पासपोर्ट, प्रापर्टी, बैंक से जुड़े करोड़ों के अहम दस्तावेज तो नहीं तैयार किए गए थे।