नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ किया है कि उसने कोविट-19 के ट्रीटमेंट के लिए किसी भी ट्रेडिशनल मेडिसिन के असर का ना कोई रिव्यू किया है ना ही किसी को सर्टिफिकेट दिया है। WHO का ये बयान पतंजलि आर्युवेद के उस दावे के महज एक दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि कोरोनिल दवा को WHO की सर्टिफिकेशन स्कीम के तहत आयुष मिनिस्ट्री से सर्टिफिकेट मिला हुआ है। अब WHO के दक्षिण पूर्व एशिया के रीजनल ऑफिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किया कि WHO ने किसी भी ट्रेडिशनल दवा का कोविड-19 के इलाज को लेकर सर्टिफिकेशन नहीं किया है।
हाइलाइट्स:
- अभी शुक्रवार को ही पंतजलि ने कोरोना की दवा कोरोनिल को फिर से लॉन्च किया और कहा कि यह दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से सर्टिफाइड है।
- अब खुद WHO ने एक ट्वीट के जरिए ये खुलासा किया कि उसने किसी भी ट्रेडिशनल दवा को सर्टिफिकेट नहीं दिया है।
- पतंजलि ने पिछले साल जून में ‘कोरोना किट’ लॉन्च की थी, इस पर खासा विवाद हुआ था।
- इसकी लॉन्चिंग में रामदेव के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे।
आचार्य बालकृष्ण ने दी ये सफाई
पतंजलि आर्युवेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने भी ट्वीट किया है कि कोरोनिल के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई ने फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट सर्टिफिकेटयानी सीपीपी दिया है। आगे उन्होंने कहा है कि पतंजलि सिर्फ लोगों का कनफ्यूजन दूर करते हुए बात को स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा था और यह साफ है कि WHO किसी भी दवा को मंजूर या नामंजूर नहीं करता है।
दो केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में लॉन्च की थी कोरोनिल
शुक्रवार को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में रामदेव ने एक बार फिर से कोरोना की दवा कोरोनिल लॉन्च की है। उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे। रामदेव ने दावा किया कि पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट की यह दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से सर्टिफाइड है। दावा है कि WHO ने इसे GMP यानी ‘गुड मैनुफैक्चरिंग प्रैक्टिस’ का सर्टिफिकेट दिया है। रामदेव ने कहा कि यह दवा ‘एविडेंस बेस्ड’ है। रामदेव ने इस मौके पर एक रिसर्च बुक भी लॉन्च की है। रामदेव ने कहा, “कोरोनिल के संदर्भ में नौ रिसर्च पेपर दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभाव वाले रिसर्च जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। 16 रिसर्च पेपर पाइपलाइन में हैं।”
कोरोना किट पर खूब हुआ था विवाद
पतंजलि ने पिछले साल जून में ‘कोरोना किट’ लॉन्च की थी। इस पर खासा विवाद हुआ था। आयुष मंत्रालय ने कहा था कि पतंजलि ‘कोरोनिल’ को केवल शरीर की ‘रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने’ वाली बताकर बेच सकता है। रामदेव ने ‘कोरोनिल’ को तब कोविड-19 की दवा के रूप में लॉन्च किया था मगर विवाद के बाद वह उसे बीमारी का असर कम करने वाली दवा कहने लगे थे। रामदेव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि “मंत्रालय ने उनसे ‘कोविड का इलाज’ की जगह ‘कोविड प्रबंधन’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा है।”
23 जून 2020 को रामदेव ने ‘कोरोनिल’ लॉन्च करते हुए इससे कोविड-19 मरीजों को ठीक करने का दावा किया था। इसके लॉन्च होते ही देश में विवाद छिड़ गया। उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी कोरोना की दवा बनाने की कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं लिए जाने की बात कहते हुए पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था।