चंदेरी : मध्यप्रदेश शासन जहां एक और शिक्षा के लिए उच्च कोटि की व्यवस्था मुहैया कराने का प्रयास कर रही है और इस देश के सुनहरे भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए अधिक से अधिक शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जा रहा है ग्रामीण अंचल से शहरी अंचल में शिक्षा के लिए आए गरीब अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के छात्रों को छात्रावास की व्यवस्था मध्यप्रदेश शासन द्वारा की जाती है गरीब परिवार का बालक शहर में रहकर अच्छी शिक्षा दीक्षा प्राप्त कर सके और एक अच्छे राष्ट्र के निर्माण में भविष्य में अपनी भागीदारी निभा सके।
वहीं दूसरी ओर चंदेरी अनुसूचित जाति बालक छात्रावास एवं अनुसूचित जनजाति प्री मैट्रिक छात्रावास में रह रहे छात्रों द्वारा बताया गया कि हम लोगों को इस छात्रावास में ना तो पीने के लिए पानी की उचित व्यवस्था है और ना ही साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है मात्र 3 दिन में एक टैंकर पानी नगरपालिका द्वारा हमें प्राप्त होता है जो कि दोनों छात्रावासों के लिए पानी प्रदान करता है हम लोगों को 2 ,3दिन का बासा पानी पीने के लिए प्राप्त होता है और पास ही जगंल लगा हुआ है जिसमें से सांप बिच्छू एवं गुहेरी जैसे जहरीले जीव जंतुओं को छात्रावास में देखा जा सकता है। अनुसूचित जाति के छात्रावास के छात्रों द्वारा बताया गया कि छात्रावास में शौचालय पूर्णता बंद है और हमें शौच के लिए बाहर जंगल में जाना पड़ता है हमें मच्छर जाली अभी प्रदान नहीं की गई है जो कि छात्रावास में उपलब्ध है छात्रावास के मुख्य द्वार पर गेट ना होने के कारण रात में यहां शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है जिससे भय का आतंक व्याप्त है छात्रावास की बाउंड्री वाल भी कई जगह से टूटी होने के कारण जंगली जानवरों को यहां देखा जा सकता है ।
इस संबंध में जब अनुसूचित जनजाति छात्रावास के अधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने गोल मटोल जवाब दिया और कहा कि सुरक्षा के इंतजामों को लेकर मैं पूर्णता जिम्मेदार नहीं हूं और ना ही मेरी 24 घंटे की ड्यूटी है।
जब अनुसूचित जाति प्री मैट्रिक छात्रावास के अधीक्षक छात्रावास में अनुपस्थित पाए गए और फोन पर बात करने से उन्होंने बताया कि किसी अन्य विद्यालय में प्रवेश महोत्सव का कार्यक्रम चल रहा है मैं वहां उपस्थित हूं छात्रों की उपस्थिति के बारे में भी जब अधीक्षक से चर्चा की गई तो उन्होंने 43 बच्चों का भर्ती होना बताया जबकि वहां कुल 8या10 छात्र ही उपस्थित पाए गए।
दोनों छात्रावास चंदेरी से लगभग 2 किलोमीटर दूर पिछोर रोड पर जंगल के किनारे बने हुए हैं और इन छात्रावासों में आपातकालीन स्थिति में किसी भी प्रकार की चिकित्सा संबंधी व्यवस्था एवं सुरक्षा संबंधी व्यवस्था नहीं पाई गई यदि रात्रि के समय कोई गंभीर घटना घटित होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा
@निर्मल विश्वकर्मा चन्देरी