नई दिल्लीः मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर एक बुरी खबर है। खुदरा महंगाई दर के बाद अब थोक महंगाई दर में भी इजाफा हो गया है। यह चार साल के अपने अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक यह पिछले साल के मुकाबले दोगुने स्तर पर पहुंच गई है। जून में यह दर बढ़कर के 5.77 फीसदी के पार चली गई है। वहीं मई में यह 4.43 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जो कि अप्रैल में 3.18 फीसदी थी। पिछले साल मई में यह दर 2.26 फीसदी थी।
जून महीने में थोक महंगाई दर बढ़कर 5.77 प्रतिशत हो गया है। महंगाई दर में इजाफे की वजह महंगी सब्जियां और पेट्रोल डीजल की कीमतों में इजाफा बताया गया है। बता दें कि पिछले महीने थोक महंगाई दर का आंकड़ा 4.43 प्रतिशत था। जबकि पिछले साल ये आंकड़ा मात्र 0.90 प्रतिशत था। सरकार द्वारा आज जारी आंकड़ों के मुताबिक जून में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 1.80 प्रतिशत थी, जबकि मई में ये आंकड़ा 1.60 प्रतिशत था। महंगाई को आधार बनाकर कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार को 18 जुलाई से शुरू होने जा रहे मॉनसून सत्र में घेरने का प्रयास करेगी। इस वक्त खुदरा महंगाई दर भी पांच महीने के उच्चतम स्तर पर है। लिहाजा विपक्ष के पास सरकार पर हमला करने का मौका है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक जून महीने में खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी हो गई। मई महीने में खुदरा महंगाई बढ़कर 4.87 फीसदी थी, जो पिछले चार महीनों में सबसे अधिक थी।अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 4.58 फीसदी थी।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और फिर गिरावट के बाद भी महंगाई दर में उछाल देखने को मिला। हालांकि इनकी कीमतों में केवल चार दिन गिरावट रही। 26 जून से पेट्रोल-डीजल के दाम गिरना शुरू हुए थे, उससे पहले इनमें लगातार तेजी का दौर बना हुआ था।
थोक और खुदरा महंगाई दर बढ़ने के बाद अब रिजर्व बैंक भी अपनी अगली मौद्रिक समीक्षा नीति में रेपो रेट की दरों में इजाफा करने का ऐलान कर सकता है। इससे आपके लोन की ईएमआई भी बढ़ सकती है। इसका आरबीआई ने महंगाई के 4.8 से 4.9 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दर को चार फीसदी के आसपास रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है, लेकिन पिछले चार महीनों के दौरान महंगाई दर इस लक्ष्य से अधिक रही है। खुदरा महंगाई दर के ताजा आंकड़े आने से पहले ब्लूमबर्ग के इकोनॉमिस्ट पोल में इसके 4.9 फीसदी के करीब रहने का अनुमान लगाया गया था।
सब्जियों के भाव सालाना आधार पर 8.12% ऊंचे रहे। मई में सब्जियों की कीमतें 2.51% बढ़ी थीं। बिजली और ईंधन क्षेत्र की मुद्रास्फीति दर जून में बढ़कर 16.18% हो गई जो मई में 11.22% थी। इसकी प्रमुख वजह वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ना है। इस दौरान आलू की कीमतें एक साल पहले की तुलना में 99.02% ऊंची चल रही थीं। मई में आलू में मुद्रास्फीति 81.93% थी। इसी प्रकार प्याज की महंगाई दर जून में 18.25% रही है जो इससे पिछले महीने 13.20% थी। उपभोक्ताओं को राहत दालों में मिली है। दालों के दाम में गिरावट बनी हुई है। जून में दाल दलहनों के भाव सालाना आधार पर 20.23% घट गए थे।
सरकार ने अप्रैल की थोक मूल्य मुद्रास्फीति को संशोधित कर 3.62% कर दिया है। प्रारंभिक आंकड़ों में इसके 3.18% रहने का अनुमान लगाया गया था । पिछले हफ्ते खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी हुए थे। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून में पांच प्रतिशत रही जो पांच महीने का उच्च स्तर है। उल्लेखनीय है कि देश की मौद्रिक नीति को तय करने में भारतीय रिजर्व बैंक मुख्यत खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों का इस्तेमाल करता है। बढ़ती महंगाई दर रिजर्व बैंक के अनुमान के मुताबिक ही है। बैंक ने अपने ताजा अनुमान में अक्तूबर- मार्च छमाही में खुदरा महंगाई दर 4.7% रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले उसका पूर्वानुमान 4.4% था।
मौद्रिक नीति समीक्षा की पिछली बैठक में रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में 0.25% की बढ़ोत्तरी की थी । केंद्रीय बैंक ने चार साल बाद नीतिगत दर में वृद्धि की है। मौद्रिक नीत समिति की अगली तीन दिवसीय समीक्षा बैठक 30 जुलाई से एक अगस्त के बीच होगी।