अमेठी- प्रदेश की अखिलेश सरकार जहाँ एक ओर राष्ट्रीय गोकुल मिशन, एनपीवीपी तथा एनएलआईएस पर पानी की तरह पैसा बहाकर, प्रदेश के किसानो, पशु पालको तथा दुग्ध व्यवसाइयों की आर्थिक समृद्धि सहित सूबे को दुग्ध एवं कृषि के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए पशुओ के प्रजनन,संवर्धन और संरक्षण हेतु मवेसियो के चारागाह, भोजन, पौष्टिकता आदि पर गम्भीरता से कदम उठा रही है।
वहीँ इसके उलट अति विशिष्ट जनपद अमेठी के अधिकारी बाकायदा सुविधा शुल्क एवम कमीशन का चश्मा लगाकर गॉवो के प्राचीन चारागाहों का पट्टा कर मौज मारते हुए समाजवादी सरकार की जन्तु संरक्षण -प्रकृति संरक्षण वाली विचारधारा एव पारदर्शिता को मटियामेट करने में जी जान से जुटे है । अमेठी तहसील के डेहरा गाँव में लगभग 9 बीघा जमीं चारागाह के रूप में दर्ज थी।
लेकिन ग्रामीणों की माने तो गाँव के ही धनाढय और दबंग किस्म के एक पक्ष की गिद्ध दृष्टि इस चारागाह पर काफी समय पहले से थी और यह पक्ष माकूल अधिकारी की तलाश में था। अचानक गाँव वालो को पता चला कि चारागाह की जमीन का व्यक्ति विशेष के नाम पट्टा होकर मेड़ बन्धी हो रही है और साथ ही मवेशियों को चारागाह में न घुसने की धमकी भी दी गयी। आनन फानन में गाँववाले ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियो सहित मुख्यमंत्री कार्यालय से भी की जहाँ तुरन्त कब्ज़ा हटवाकर चारागाह को खाली कराने का निर्देश दिया गया। लेकिन इसे मवेशियों की बदनसीबी कहे या फिर भ्रष्ट अधिकारियो की सटीक चालबाज़ी कि आदेशो की फाइल को 32 लीवर वाले मजबूत ताले में बंद कर दिया गया जिसके कारण कुछ भ्रष्ट अधिकारी आज भी चैन की बंसी बजा रहे है ।
मामला चाहे जो भी हो लेकिन यदि मवेशी वोट बैंक का हिस्सा नही है तो क्या हुआ, प्रकृति सन्तुलन का मजबूत आधार है हमे निजी स्वार्थो के लिए इसके भोजन पर डाका डालने का कोई अधिकार नही है और साथ ही हम मनुष्यो को मूक मवेशियों के लिए भी न्याय संगत कार्य और व्यवहार रखना चाहिये ।
बोले जिम्मेदार-
मामला कलेक्ट्रेट में है। वृक्षारोपण का पट्टा बहुत पहले हुआ हैं। चारागाह मवेशियों के लिये स्वतन्त्र है –उप जिलाधिकारी अमेठी
रिपोर्ट- @राम मिश्रा