भोपाल : मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। कोरोना संक्रमण के फिर से बढ़ने के चलते मीडिया की एंट्री को सीमित किया गया है लेकिन सवाल यह है कि लोकसभा-राज्यसभा और कई राज्यों की विधानसभा की कार्यवाही का लाइव प्रसारण हो सकता है तो फिर मध्यप्रदेश में क्यों नहीं? सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विधानसभा में दिए वक्तव्य की वीडियाे रिकाॅर्डिंग के लिए लिखित में आवेदन देकर लेना पड़ा। हालांकि विधानसभा की नियमावली में ऐसा प्रावधान है कि यदि किसी सदस्य को वीडियो रिकाॅर्डिंग की जरूरत पड़े तो आवेदन करने पर विधानसभा सचिवालय उपलब्ध कराएगा।
दिल्ली विधानसभा में पूरे सत्र की कार्यवाही का लाइव प्रसारण किया जाता है। इतना ही नहीं, वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ में ‘माननीयों’ के सरकार से सवाल-जवाब प्रदेश की जनता देखती और सुनती है। जनता के नुमाइंदे अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहे हैं या नहीं? यह पूरी पारदर्शी तरीके से सामने आता है। राजस्थान में तो विधानसभा सदन की कार्यवाही का बकायदा यूट्यूब लिंक जारी होता है।
मध्यप्रदेश विधानसभा के गठन को 65 साल हो गए। इस अवधि में कई बदलाव भी हुए। विधायकों के सवाल लगाने से लेकर सरकार के जवाब तक ऑनलाइन हो गए। पहली बार प्रदेश का बजट पेपरलेस यानी ऑनलाइन होगा लेकिन सदन की कार्यवाही को लाइव करने में माननीयों की कोई रुचि दिखाई नहीं देती है। कांग्रेस हो या फिर बीजेपी, किसी भी विधायक ने पुरजोर तरीके से इस मामले को कभी नहीं उठाया। इसकी पुष्टि विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसराणी ने की।
इसराणी के मुताबिक 14वीं विधानसभा (वर्ष 2013 से 2018 तक) में अध्यक्ष डाॅ. सीतासरण शर्मा के कार्यकाल में लोकसभा और राज्यसभा TV की तर्ज पर स्टूडियो से लेकर सदन की कार्यवाही का लाइव प्रसारण तक का एक प्लान तैयार किया था लेकिन इसमें सत्ता और विपक्ष किसी ने इसमें रुचि नहीं ली। दरअसल, इसके लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से अनुमति लेना पड़ती है लेकिन विधानसभा से प्रस्ताव ही नहीं जा पाया।
इधर, विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि विधानसभा की कार्यवाही को लाइव करने के लिए दूरदर्शन को प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन टेक्निकल समस्या आने से यह आगे नहीं बढ़ पाया। पिछले साल कोविड के कारण सत्र आहूत नहीं हो पाया था। अब नए अध्यक्ष के समक्ष इस प्रस्ताव को रखेंगे। हालांकि अध्यक्ष गिरीश गौतम कह चुके हैं कि इसको लेकर जल्दी ही निर्णय लिया जाएगा, ताकि मीडिया के साथ साथ प्रदेश की आम जनता विधानसभा के अंदर हो रही कार्यवाही देख व सुन सके।