भगवान विष्णु को सभी व्रतों में एकादशी व्रत सबसे प्रिय माना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति पर भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनके लिए मोक्ष का द्वार खुला रहता है। लेकिन एकादशी व्रत के कुछ नियम भी हैं जिनका पालन करना जरुरी होता है।
जो व्यक्ति यह व्रत नहीं भी रखते हैं उन्हें भी एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना चाहिए इससे जीते जी तो सांसारिक लाभ मिलता ही है मृत्यु के बाद भी परलोक में सुख मिलता है। इन नियमों में एकादशी के दिन खान-पान नियम सबसे खास है।
एकादशी तिथि के दिन चावल और चावल से बनी चीजों को खाना रक्त और मांस को खाने के जैसा माना गया है। इसकी वजह यह है चावल की उत्पत्ति महर्षि मेधा के शरीर से हुआ माना जाता है।
चावल की तरह जौ भी महर्षि मेधा के शरीर से उत्पन्न हुआ माना जाता है इसलिए एकादशी के दिन जौ खाना भी शास्त्रों के अनुसार सही नहीं है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के ब्रह्मखंड में जिक्र आया है कि एकादशी के दिन सेम नहीं नहीं खाना चाहिए। इसदिन सेम खाना संतान के लिए अशुभ होता है।
लहसुन प्याज का खाने में प्रयोग एकादशी के दिन नहीं करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि गंध युक्त और मन में काम भाव बढ़ाने की क्षमता के कारण इसे अशुद्ध माना गया है।
एकादशी और द्वादशी तिथि के दिन बैंगन खाना अशुभ फलदायी माना गया है।मांस और मदिरा का सेवन भी एकादशी के दिन नरक में जाने का रास्ता खोलता है।