24.1 C
Indore
Sunday, November 3, 2024

पेट्रोल डीजल पर सरकार इतनी बेबस क्यों?

पेट्रोल एवं डीजल के दामों में रोजाना होने वाली बढ़ोतरी से केंद्र की मोदी सरकार भले ही चिंतित न हो, परंतु इससे 22 विरोधी दलों ने एक बार फिर एकजुटता अवसर प्रदर्शित करने का अवसर पा लिया है। इन विरोधी दलों ने देशव्यापी बंद का आव्हान किया जो शत-प्रतिशत सफल तो नही रहा, लेकिन उन राज्यों में इसका मिला जुला असर अवश्य मायने रखता है, जहां भाजपा की सरकारें है। केंद्र की मोदी सरकार सहित विभिन्न राज्यों की भाजपाई सरकारों ने इस बंद को पूरी तरह नकार दिया है। भारत बंद को पूरी तरह औचित्यहीन व अनावश्यक बताते हुए सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मामले में कुछ भी नही कर सकती है। सरकार का कहना है कि पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों पर उसका कोई नियंत्रण नही है। तेल कंपनिया ही अंतराष्ट्रीय बाजार भाव के हिसाब से दामों को तय करती है।

मामले में केंद्र सरकार के मंत्रियों ने जिस तरह सरकार का बचाव किया है उससे तो यही लगता है कि इसमें सरकार बिल्कुल असहाय हो गई है। जनता की तकलीफ को देखते हुए भी सरकार की यह असहाय मुद्रा चकित करने वाली है। क्या सरकार जनता को अब यही संदेश देना चाहती है कि उसे पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि के इस सिलसिले में अभ्यस्त हो जाना चाहिए। पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्य वृद्धि कोई नई बात नही है। कुछ समय पूर्व ही कीमतों की वृद्धि ने जनता को त्रस्त कर दिया था औऱ एक बार फिर वही विकट स्थिति जनता की परेशानी बढ़ा रही है। यदि सरकार के हाथों में कुछ नही है औऱ वह इस पर अंकुश नही लगा सकती है तो फिर कीमत में बढ़ोतरी का यह सिलसिला कहा जाकर रुकेगा।

जनता यह समझने में भी असमर्थ है कि यदि पेट्रोल डीजल की कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नही है तो फिर चुनावों के समय इनकी कीमतों में अचानक स्थिरता क्यों आ जाती है। यह पहले भी कई बार देखा जा चुका है कि चुनाव के समय तो दाम स्थिर रहते है ,लेकिन उसके तुरंत बाद दामों में इजाफा हो जाता है। आखिर चुनाव के समय सरकार एवं तेल कंपनियों के बीच ऐसी क्या अण्डरस्टैंडिंग हो जाती है जिससे दाम स्थिर रहते है। एक बात यह भी आश्चर्य जनक है कि जब तेल कंपनियां सरकारी नियंत्रण से मुक्त है तो चुनाव के समय भी उन्हें सरकार की बात मानने के लिए बाध्य नही होना चाहिए। अगर यह भी मान लिया जाए कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों कुछ निर्धारण अंतराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों के अनुसार किया जाता है तथा बाजार में क्रूड ऑयल कि कीमतों में उतार चढ़ाव उसके उत्पादन से जुड़ा है तब भी सरकार से यह सवाल तो किया ही जा सकता है कि वह लगने वाले टेक्स पर पुनर्विचार क्यों नही करती? किन्तु सरकार तो इस मामले में पूरी तरह पल्ला झाड़ रही है। वह केवल बाजार भाव का ही राग अलाप रही है।

यह तो पहले से ही तय था कि विरोधी दलों द्वारा जो भारत बंद का आयोजन किया जाएगा उसका कोई असर सरकार पर नही होगा। सरकार यदि इस बंद के बाद तेल कंपनियों से दामों को लेकर पुनर्विचार करने का कहती ,तब तो यह माना जा सकता था कि वह विपक्ष के दबाव में है। सरकार ने तो बंद की आंशिक सफलता को भी नकारते हुए स्पष्ट कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता केवल विकास है। सरकार इस बात से भी फूली नही समा रही है कि देश की अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत हो गई है और वह अब फ्रांस को भी पीछे छोड़कर दुनिया की छटवी बड़ी अर्थव्यवस्था हो गई है। शायद सरकार यह मानती है कि यदि देश की आर्थिक विकास दर में बढ़ोतरी के लिए थोड़ी तकलीफ भी सहना पड़े तब भी जनता को शिकायत नही करना चाहिए।

सरकार का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार भाव मे बढ़ोतरी के कारण ही तेल की कीमतें बढ़ रही है। चलों यह मान लेते है तो क्या सरकार जनता की मांग पर उत्पाद शुल्क एवं वेट में कमी कर राहत नही दे सकती है। यह भी तब जब केंद्र सहित लगभग 20 राज्यों में भाजपा की सरकारें है ,लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अभी तक राज्यों को इस बाबत सलाह देना भी मुनासिब नही समझा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तो साफ कर दिया है कि सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर से एक्साइज ड्यूटी नही घटाएगी। इसलिए इससे यह कहा जा सकता है कि जनता को अभी और दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। खैर मोदी सरकार जनता की तकलीफों से मुंह मोड़ रही है तो आगामी लोकसभा चुनाव में उसे जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन शायद सरकार ने मन ही मन यह सोच रखा है कि चुनाव के समय इन पदार्थों के दाम स्थिर हो जाएंगे तब जनता का आक्रोश अपने आप ठंडा पड़ जाएगा। विपक्षी दलों की एकता तब तक बिखर चुकी होगी। अब यह विपक्षी दलों को तय करना है कि वे अपनी एकजुटता मजबूत करते है या उसमे सेंध लगने देने का खतरा मोल लेने की तैयारी कर चुके है। आज यह स्थिति हो चुकी है कि चार साल बीतने के बाद भी मोदी सरकार जनता को अच्छे दिनों के दर्शन तो करा नही पाई है ,उल्टे वह जनता को ही तकलीफों के सहारे जीने की आदत डालने की सलाह दे रही है। कहने का तात्पर्य यह है कि पीएम मोदी का’ अच्छे दिन आने वाले है’ कहना पूरी तरह गलत साबित हो रहा है।

:-कृष्णमोहन झा

((लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के राजनैतिक संपादक है))

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
136,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...