पति के ऊंचे पद का गुमान हर स्त्री को होता है। पति के पद, प्रतिष्ठा और सुविधाओं का उपयोग और दुरुपयोग करना भी अधिकतर पत्नियां अपना कर्तव्य समझती हैं। लेकिन क्या यह उचित है? क्या वह जानती हैं कि इसका असर उनके पति की कार्यालयी जिंदगी पर पड़ता है?
क्यों करती हैं महिलाएं ऐसा? इसके मनोवैज्ञानिक और सामाजिक पहलू दोनों हैं। कुछ स्त्रियों में स्वाभाविक तौर पर दिखावे की प्रवृत्ति होती है। पति के पद और रुतबे का रौब वे अपनी सहेलियों, रिश्तेदारों पर डालना चाहती हैं तो कभी-कभी खुद कुछ नहीं कर पाने की कुंठा में भी वे पति के पद का दुरुपयोग करने लगती हैं।
इसका एक पक्ष यह भी है कि कई दफा पत्नियां खुद को पति के पद पर आसीन समझ बैठती हैं। उन्हें लगता है कि सामाजिक दृष्टि से पति की हर चीज पर उनका हक होता है, इसलिए उनके दफ्तर और मातहतों पर भी उनका हक है। वे जैसे चाहें उनका उपयोग कर सकती हैं। लेकिन पत्नी का इस तरह पति के पद का फायदा उठाना अनुचित है।
पति को नौकरी में सुविधाएं अपने काम को बेहतर ढंग से करने के लिए मिलती हैं, न कि निजी जिंदगी को आसान बनाने के लिए। दफ्तर के काम में हर्ज करवा कर पति के ड्राइवर, चपरासी या अन्य मातहतों से काम करवाना उनकी प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं होता है। दूसरी ओर मातहतों का काम अपने अफसर के आदेशों का पालन करना होता है न कि उनकी पत्नियों के। अफसर की बीवी के हुक्म बजाना किसी को पसंद नहीं होता।
पति के दफ्तर की गाड़ी या उनके मातहतों से काम लेकर आप सामाजिक प्रतिष्ठा नहीं पा सकतीं। सहेलियों, पड़ोसिनों व रिश्तेदारों के बीच आप मजाक का पात्र ही बनेंगी। वे आपकी बुराई भी करेंगी कि आप अपने पति के दफ्तरवालों से काम करवाती हैं, उनके साथ बुरा बर्ताव करती हैं।
पीठ पीछे पति के मातहत भी दफ्तर में उनका और आपका मजाक बनाएंगे, आपके घर की बातें मिर्च-मसाला लगा कर सबको बताएंगे। इससे आपके पति की प्रतिष्ठा अपने सहयोगियों और मातहतों के बीच कम होगी।
पति की इज्जत बनाए रखना आपके ही हाथ में है। अगर पति ऊंचे ओहदे पर हैं और उन्हें कुछ निजी सुविधाएं मिली हुई हैं तो उनका आप उपयोग कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में भी यह ध्यान रखना चाहिए कि अफसर आपके पति हैं, आप नहीं। पति को प्राप्त सुविधाओं का दुरुपयोग करना आपके लिए उचित नहीं है।