BJP -TDP एनडीए में बीजेपी की सहयोगी टीडीपी ने फिलहाल गठबंधन से अलग होने के फैसले को टाल दिया है। टीडीपी का संसदीय समिति की बैठक के बाद प्रदेश के मंत्री वाइएस चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए जानकारी दी, ‘बैठक में बजट और आंध्र प्रदेश की अनदेखी पर चर्चा हुई। हम इसके लिए केंद्र पर दबाव बनाते रहेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो संसद में भी इस मामले को उठाया जाएगा।’
टीडीपी संसदीय समिति की बैठक में ‘बजट में आंध्रप्रदेश की अनदेखी’ के मुद्दे पर गठबंधन से अलग होने को मामले पर फैसला होना था। इससे पहले खबरें आ रही थी कि आंध्र प्रदेश के सीएम ने शनिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी बात की थी, लेकिन चौधरी ने इस मामले पर सफाई देते हुए बताया कि सीएम चंद्रबाबू नायडू ने शिवसेना प्रमुख से बात नहीं की है। यहां तक कि सीएम और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बीच भी कोई बात नहीं हुई है।
क्या हुआ था जिससे हालात समर्थन वापसी के बने
गौरतलब है कि भाजपा ने 1 फरवरी को पेश किए गए बजट पर टीडीपी ने खासी नाराजगी जाहिर की है। टीडीपी के एक सांसद ने कहा था की पिछले साढ़े तीन साल से हम अपनी मांगों को उठा रहे हैं। इस बार के बजट में उम्मीद थी कि सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा और स्पेशल पैकेज देगी, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं दिया।
बजट से आंध्र प्रदेश के लोग खुद उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा था अगर हमें 2019 के चुनाव में उतरना है, तो हमें उन मुद्दों को उठाना होगा, जिनका निपटारा केंद्र सरकार ने नहीं किया।
पार्टी नेता के राममोहन राव से टीडीपी-बीजेपी गठबंधन के बारे में जब पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि इस बैठक में बजट पर चर्चा की जा रही है, राजनीतिक गठबंधन और राज्य सरकार का विकास अलग चीजें हैं।
टीडीपी सांसद पी रवींद्र बाबू ने कहा, मुख्यमंत्री जो निर्णय लेंगे हम उसके साथ होंगे। मगर, भाजपा के बजट से हम सहमत नहीं हैं, जो आंध्रप्रदेश को आवंटित किया गया है। टीडीपी अध्यक्ष और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू एनडीए से अलग होने का मन बना रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह आपात बैठक केंद्र सरकार के आम बजट पेश होने के बाद बुलाई थी । बजट में आंध्रप्रदेश को बजट में खास तरजीह नहीं दी गई है, उससे नायडू खुश नहीं है। आंध्र प्रदेश के कई अहम प्रोजेक्ट के लिए बजट में राजस्व का आवंटन नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि पहले ही एन. चंद्रबाबू नायडू एनडीए से नाता तोड़ने के संकेत दे चुके हैं। उन्होंने अलग होने की संभावनाओं के लिए भाजपा को ही जिम्मेदार ठहराया था। राज्य के भाजपा नेताओं द्वारा टीडीपी की आलोचनाओं पर चंद्रबाबू ने कहा था कि इन्हें कंट्रोल करना भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की जिम्मेदारी है।