अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध घोषित करने वाली धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुरक्षित रखने के महज एक दिन बाद ही इससे जुड़ा एक मामला सामने आया है।
एक महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया है कि शादी के चार सालों के दौरान उसके पति ने उसके साथ जबरदस्ती ‘अप्राकृतिक’ मौखिक (ओरल) सेक्स किया। महिला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी है और मांग की है उसके पति को ऐसा करने से रोकने के लिए कड़े प्रावधान लाए जाएं।
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस एमएम शांतनागौदर ने महिला के पति को नोटिस जारी किया है। इससे पहले कोर्ट में महिला की वकील अपर्णा भट्ट ने उसके पति पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने जबरदस्ती पीड़िता के साथ मौखिक सेक्स किया, जो ‘प्रकृति के आदेश के खिलाफ सेक्स’ है और जिसे धारा 377 के तहत अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने धारा-377 की वैधता को चुनौती वाली याचिकाओं पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि पति और पत्नी के बीच सहमति से किए गए मौखिक (ओरल) सेक्स और गुदा (एनल) सेक्स को अप्राकृतिक यौन संबंध या ‘प्रकृति के आदेश के खिलाफ सेक्स’ की श्रेणी में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि धारा-377 की वैधता का मामला पहले से ही जटिल परिस्थिति में है, ऐसे में महिला की ये याचिका मामले को और भी कठिन बना सकती है।
पीड़ित महिला ने बताया कि उसकी शादी 2014 में हुई थी, जबकि उसकी सगाई साल 2002 में ही हो गई थी, जब वह महज 15 साल की थी। महिला ने शिकायत की है कि उसका डॉक्टर पति अक्सर उसे अपनी इच्छाओं के खिलाफ मौखिक सेक्स करने को मजबूर करता था।
महिला ने अपने पति के खिलाफ बलात्कार और अप्राकृतिक सेक्स करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराया था। तब, गुजरात हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि धारा-375 के तहत वैवाहिक बलात्कार का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही कोर्ट ने धारा-377 के तहत भी महिला द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था।