मंदसौर- डेढ़ माह के मृत बच्चे को लेकर मानसिक बीमार महिला पहले सांवलियाजी मंदिर और अब पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में इस आस में बैठी थी कि भगवान बच्चे को जीवित कर देंगे। बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं होने और बदबू आने के बाद लोगों ने पुलिस को सूचना दी।
कोतवाली टीआई ने पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचकर महिला व उसके माता-पिता से बात की और शव को जिला चिकित्सालय पहुंचाया। पुलिस की मानें तो बच्चे की मौत को 10 दिन से ज्यादा हो गए हैं। वहीं बच्चे का पीएम करने वाले चिकित्सक का कहना है कि बच्चे की मौत को 72 घंटे से अधिक हो चुके हैं। मौत सामान्य ही है।
बुधवार को पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में महू के गोकुलगंज क्षेत्र की रहने वाली ज्योति अग्रवाल डेढ़ माह के बेटे अमन को लेकर मंदिर परिसर में बैठी थी। बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं होने और बदबू आने पर लोगों ने पुलिस को सूचना दी। मंदिर परिसर पहुंचे कोतवाली टीआई एमपीसिंह परिहार व एसआई मधु राठौर ने ज्योति के साथ उसके पिता नेमीचंद अग्रवाल और मां शारदाबाई से भी बात की।
ज्योति व उसके माता-पिता का व्यवहार मानसिक बीमारों जैसा ही था। पुलिस ने जैसे-तैसे समझा-बुझाकर शव उनसे लिया और जिला अस्पताल पहुंचाया। टीआई परिहार ने बताया कि जिला चिकित्सालय में बच्चे का पोस्टमार्टम किया गया था। तीनों को पुलिस नेे वाहन की व्यवस्था कर महू भेज दिया है। अब आगे इस मामले में महू पुलिस जांच करेगी।
भगवान से गुहार
टीआई ने बताया कि महिला सहित परिजन बच्चे के जिंदा होने की आस में महू से देव स्थानों पर घूमते रहे। पहले ये सभी सावलियाजी पहुंचे वहां भगवान से गुहार लगाई। पर जब वहां बच्चे में कोई हलचल नहीं दिखी तो मंदसौर में पशुपतिनाथ मंदिर पर आ गए। मंदिर परिसर में प्रतिदिन आने वालों की मानें तो ये तीनों तीन दिन सेे मंदिर परिसर में ही घूम रहे हैं।
भगवान ने दिया है बच्चा
टीआई ने बताया कि ज्योति और उसके माता-पिता मानसिक रूप से बीमार हैं। जब उनसे बच्चे के जन्म और अन्य चीजों के बारे में पूछताछ की गई तो वे कुछ भी जवाब नहीं दे रहे थे। ज्योति से उसके पति के बारे में पूछा गया। इस पर उसका कहना था कि बच्चा भगवान ने दिया है। उसका किसी से कोई संबंध नहीं है। 29 फरवरी को जन्मा बच्चा जन्म से ही बीमार था, लेकिन उसकी मौत कब हुई। इस संबंध में वह बता ही नहीं पा रही है।
अंग गलने लगे थे।
बच्चे की मौत 72 घंटे से भी पहले हो गई थी। उसके शरीर के अंग भी गर्मी के कारण गलने लगे थे और मौत का कारण जन्म से ही बीमारी थी। परिजनों से ऐसी जानकारी मिली है कि इंदौर में भी चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया था। बच्चों का शरीर डी कंपोज होने में समय लगता है इसलिए इतने दिन तक पता नहीं चल पाया।
डॉ. विशाल गौड़, जिला चिकित्सालय, मंदसौर
रिपोर्ट:- प्रमोद जैन