यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलकर फिर से प्रयागराज कर दिया गया है। 444 साल बाद इलाहाबाद का नाम बदलकर फिर से प्रयागराज कर दिया गया है। दरअसल पुराणों में इसका नाम प्रयागराज ही था। अकबर के शासनकाल में इसे इलाहाबाद कर दिया गया था।मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने को समर्थन देते हुए कहा कि जहां दो नदियों का संगम होता है उसे प्रयाग कहा जाता है। उत्तराखंड में भी ऐसे कर्णप्रयाग और रुद्रप्रयाग स्थित है।
हिमालय से निकलने वाली देवतुल्य दो नदियों का संगम इलाहाबाद में होता है और यह तीर्थों का राजा है। ऐसे में इलाहाबाद का नाम प्रयाग राज किया जाना उचित ही होगा।पौराणिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए वर्षों से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की मांग उठती आ रही थी। मगर किभी इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया।
जब मार्च 2017 को योगी सरकार उत्तर प्रदेश में आई तो उन्होंने यह वादा भी किया कि वे इलाहाबाद प्रयागराज कर देंगे। इसके बाद कई संतों ने उन्हें उनके वादे को याद दियाला। इलाहाबाद में मुख्यमंत्री ने इस घोषणा को अमली जामा पहनाने की शुरुआत कर दी।पौराणिक महत्व : रामचरित मानस में इसे प्रयागराज ही कहा गया है।
इलाहाबाद। संगम के जल से प्राचीन काल में राजाओं का अभिषेक होता था। इस बात का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है। वन जाते समय श्रीराम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे।
भगवान श्रीराम जब श्रृंग्वेरपुर पहुंचे तो वहां प्रयागराज का ही जिक्र आया। सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक पुराण मत्स्य पुराण के 102 अध्याय से लेकर 107 अध्याय तक में इस तीर्थ के महात्म्य का वर्णन है। उसमें लिखा है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती हैं।कब बदला नाम अकबरनामा और आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है कि अकबर ने सन 1574 के आसपास प्रयागराज में किले की नींव रखी। उसने यहां नया नगर बसाया जिसका नाम उसने इलाहाबाद रखा।
उसके पहले तक इसे प्रयागराज के ही नाम से जाना जाता था।मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने को समर्थन देते हुए कहा कि जहां दो नदियों का संगम होता है उसे प्रयाग कहा जाता है। उत्तराखंड में भी ऐसे कर्णप्रयाग और रुद्रप्रयाग स्थित है। हिमालय से निकलने वाली देवतुल्य दो नदियों का संगम इलाहाबाद में होता है और यह तीर्थों का राजा है। ऐसे में इलाहाबाद का नाम प्रयाग राज किया जाना उचित ही होगा।कुंभ मेले की तैयारियों पर जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि करीब 3200 हेक्टेयर में आयोजित होने वाले मेले में स्वच्छता पर खास ध्यान रखा जाएगा।
मेले में 1,22,000 शौचालय और 20,000 कूड़ेदान बनेंगे। इसके साथ ही 11,400 सफाई कर्मी तैनात किए जाएंगे। मेले में पहली बार विदेशी मुद्रा विनियम के लिए तीन सेंटर बनाए जाएंगे। इसके साथ ही 4 बैंक शाखाएं , 20 एटीएम और 34 मोबाइल टावर भी लगेंगे।मुख्यमंत्री ने बताया कि कुंभ के दौरान लोग पहली बार किले के अंदर मौजूद अक्षय वट और सरस्वती के दर्शन भी कर पाएंगे।
उन्होंने बताया कि 48 दिन तक चलने वाले इस आयोजन से जुड़ी 445 परियोजनाओं में से 92 पूर्ण कर ली गई हैं। वहीं, 88 परियोजनाएं 15 अक्टूबर तक पूरी होंगी जबकि 250 परियोजनाओं को 31 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसी तरह 52 अन्य परियोजनाएं 15 नवंबर तक पूरी होंगी जबकि अस्थाई प्रकृति की 161 परियोजनाएं दिसंबर तक पूरी की जाएंगी।