मच्छरों से पैदा होने वाले वायरस ज़ीका (Zika) की वजह से ब्राज़ील में लगभग 4,000 बच्चों के दिमागों को नुकसान पहुंचा है। फिलहाल ऐसी कोई दवा या इलाज मौजूद नहीं है, जो ज़ीका से लड़ सके, जिसे डेंगू (dengue) और चिकनगुनिया (chikungunya) की श्रेणी में ही रखा जाता है।
ज़ीका वायरस का खतरा अमेरिकी महाद्वीपों के ट्रॉपिकल तथा सब-ट्रॉपिकल क्षेत्रों में फैलता रहा है, और अब तक 20 से भी ज़्यादा मुल्क इसकी चपेट में आ चुके हैं। बुधवार को दक्षिण अमेरिका से डेनमार्क लौटकर आए एक पर्यटक के ज़ीका वायरस के लिए किए गए परीक्षण में पॉज़िटिव निकलने पर यूरोप में भी ज़ीका संक्रमण का पहला मामला दर्ज हो गया है। सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization – WHO) ने कहा था कि ज़ीका वायरस कनाडा और चिली को छोड़कर अमेरिकी महाद्वीपों के प्रत्येक देश में फैल जाएगा।
इस वायरस से प्रभावित होने वाले लगभग 80 प्रतिशत लोगों में किसी भी खास प्रकार के लक्षण पैदा नहीं होते, जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं के लिए यह जानना कठिन होता है कि वे संक्रमित हैं या नहीं।
विशेषज्ञों के अनुसार, ज़ीका संक्रमण के बारे में बहुत कुछ जानना अभी बाकी है। उदाहरण के लिए, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि गर्भवती महिलाओं में यह संक्रमण कितना आम है, या गर्भावस्था के दौरान वह कौन-सा वक्त है, जब महिला से यह संक्रमण गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकता है।
इस बीच, अल साल्वाडोर और कोलम्बिया ने महिलाओं से गर्भधारण को टालने या उससे बचने की सलाह जारी की है। इस कदम की महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आलोचना की है, जिनका कहना है कि इन देशों के कुछ हिस्सों में रहने वाले लोगों के लिए गर्भ-निरोध या गर्भपात के उपायों तक पहुंच बनाना भी कठिन है। अल साल्वाडोर में महिलाओं को सलाह जारी की गई है कि वे 2018 तक गर्भधारण न करें।
अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि जो नए अध्ययन शुरू किए गए हैं, उनमें यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि क्या गर्भवती महिलाओं में ज़ीका संक्रमण तथा उनके नवजात बच्चों में सिर छोटा रह जाने की जन्मजात बीमारी माइक्रोसीफली (Microcephaly) के बीच में कोई संबंध है या नहीं।
माइक्रोसीफली सिर छोटा रह जाने की ऐसी जन्मजात बीमारी है, जिसका कोई ज्ञात उपचार मौजूद नहीं है। माइक्रोसीफली के हल्के प्रभाव वाले मामलों में सिर छोटा रह जाने के अलावा आमतौर पर बच्चों में किसी भी तरह के कोई और लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन डॉक्टरों को फिर भी नियमित रूप से उनके विकास पर नज़र रखनी पड़ती है।
माइक्रोसीफली के अधिक प्रभाव वाले मामलों में बच्चों में स्पीच, ऑक्यूपेशनल और फिज़िकल थैरेपी की भी ज़रूरत पड़ सकती है।
अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिज़ीज़ (National Institute of Allergy and Infectious Disease – NIAID) नई दवाओं पर भी परीक्षण कर रहा है, जो इस वायरस के खिलाफ प्रभावी हो सकती हैं।
यूनाइटेड एयरलाइन्स समेत पर्यटन कंपनियों ने गर्भवती महिलाओं को रिफंड देने अथवा ज़ीका से प्रभावित इलाकों की उनकी निर्धारित यात्राओं को बिना जुर्माना वसूले स्थगित करने की पेशकश देनी शुरू कर दी है।
मंगलवार को WHO प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमैर (Christian Lindmeier) ने कहा था कि फिलहाल दुनियाभर में ज़ीका से प्रभावित लोगों की कुल संख्या के बारे में कोई वैश्विक अनुमान मौजूद नहीं है, क्योंकि ज़ीका के लक्षण इतने हल्के होते हैं कि इस वायरस पर ‘दरअसल कभी नज़र ही रखी गई…’