दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक भारत रूस से कच्चा तेल पहले के मुकाबले अधिक खरीद रहा है और ज्यादा मार्जिन लेकर पश्चिमी देशों को एक्सपोर्ट कर रहा है। इस तरह भारत ने अमेरिका के साथ खेला कर दिया है।
Russia Ukraine War Update: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले नौ महीने से चल रहे युद्ध का असर दुनियाभर पर पड़ा है। अमेरिका जैसे पश्चिमी देश रूस के खिलाफ हैं और कई प्रतिबंध लगा चुके हैं। हालांकि, इन प्रतिबंधों की वजह से पश्चिमी देशों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसी बीच, भारत ने बड़ा खेल कर दिया है। दरअसल, भारत अमेरिका को वैक्यूम गैसऑयल (VGO)का एक्सपोर्ट कर रहा है। यह वीजीओ भारत ने रूस से सस्ती दरों पर खरीदा है और अमेरिका को महंगी दरों पर बेच रहा, जिससे मुनाफा भी हो रहा है। कहा जा रहा है कि युद्ध के दौरान पश्चिमी देश रूस की आपूर्ति को बदलने के लिए विकल्प चाहते हैं। अमेरिका और कनाडा ने यूक्रेन पर मॉस्को के आक्रमण पर रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। रूसी कच्चे और तेल उत्पादों के आयात पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध क्रमशः 5 दिसंबर और 5 फरवरी को प्रभावी होंगे।
रूस से खरीद कर अमेरिका को बेच रहा भारत
इस बीच, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक भारत रूस से कच्चा तेल पहले के मुकाबले अधिक खरीद रहा है और ज्यादा मार्जिन लेकर पश्चिमी देशों को एक्सपोर्ट कर रहा है। लेटेस्ट जानकारी के अनुसार, वैश्विक तेल व्यापारियों- विटोल और ट्रैफिगुरा ने भारतीय रिफाइनर नायरा एनर्जी से वीजीओ का एक-एक कार्गो खरीदा है, जो 10 डॉलर से 15 डॉलर प्रति बैरल के बीच है। सूत्रों ने कहा कि इन दरों पर दिसंबर में भारत के वाडिनार बंदरगाह से लोड होने वाले कार्गो के अमेरिका या यूरोप जाने की संभावना है। इससे पहले, अफ्रामैक्स टैंकर शंघाई डॉन ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के जामनगर बंदरगाह से कम-से-कम 80,000 टन वीजीओ लोड किया, जो अक्टूबर के अंत से नवंबर की शुरुआत तक में अमेरिका पहुंचा।
पिछले साल की तुलना में वीजीओ का एक्सपोर्ट बढ़ा
अमेरिका में भारत का वीजीओ एक्सपोर्ट पिछले वर्ष की तुलना में इस साल 2022 में बढ़ गया है। मई 2021 में भारत से यू.एस. के लिए केवल एक कार्गो लोड किया गया। वीजीओ का उपयोग ज्यादातर गैसोलीन और डीजल जैसे अन्य उत्पादों के उत्पादन के लिए रिफाइनरी फीडस्टॉक के रूप में किया जाता है। यूक्रेन युद्ध छिड़ने से पहले रूस अमेरिकी रिफाइनरों के लिए एक प्रमुख वीजीओ सप्लायर हुआ करता था। वोर्टेक्स के वरिष्ठ ईंधन तेल विश्लेषक रोसलान खसावनेह ने कहा, ”यह देखते हुए कि अमेरिका रूसी तेल नहीं खरीद रहा है, वे किसी भी और सभी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।” बता दें कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंध किसी तीसरे देश से निर्यात किए गए रूसी कच्चे तेल से उत्पादित प्रोडक्ट्स पर लागू नहीं होते हैं क्योंकि वे मूल रूप से रूस के नहीं हैं। वहीं, भारत में, रिफाइनर ने अप्रैल और अक्टूबर के बीच रियायती रूसी तेल के आयात को बढ़ाकर 793,000 बैरल प्रति दिन कर दिया गया है, जो एक साल पहले की समान अवधि में सिर्फ 38,000 बीपीडी था। खरीद में रिलायंस का हिस्सा करीब 23 फीसदी और नायरा की हिस्सेदारी करीब 3% है।