लेखा परीक्षा सप्ताह समापन समारोह को राज्यपाल श्री पटेल ने किया संबोधित
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि लोक धन के अपव्यय को रोकने संबंधी व्यवस्थाओं के अनुपालन में और सभी प्रकार के वित्तीय लेन-देन की पारदर्शिता सुनिश्चित कराने में लेखा परीक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। लेखा परीक्षा विभाग का 160 वर्षों का समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है। राज्यपाल श्री पटेल ने शुक्रवार को लेखा परीक्षा सप्ताह के समापन समारोह को वर्चुअली संबोधित किया।
राज्यपाल श्री पटेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने लेखा परीक्षा विभाग के गौरवशाली इतिहास के सम्मान में गत वर्ष से 16 नवम्बर को लेखा परीक्षा दिवस के रूप में मनाने की पहल की है।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषता विधायिका सहित उसके सभी प्रमुख अंगों में सामंजस्य बनाए रखना है। लेखा परीक्षा विभाग द्वारा संसद और राज्य विधान सभाओं के लिए सरकार और अन्य सार्वजनिक प्राधिकरण की सार्वजनिक धन के व्यय सम्बन्धी जवाबदारी तय करने और इस सम्बन्ध में जानकारी जन-साधारण को उपलब्ध कराने के महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण दायित्व का निर्वहन किया जाता है। वास्तव में लेखा परीक्षा विधायिका के प्रति प्रशासन की जवाबदेही लागू करने का उपकरण होकर वित्तीय प्रशासन पर विधायी नियंत्रण का महत्वपूर्ण साधन है। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि ऑडिट के कठोर मानकों का पालन अधिक सावधानी के साथ किया जाना चाहिए, जिससे ऑडिट के दौरान नुकसान के अनुमानों अथवा बाहरी आंकड़ों के कारण ऑडिट की अखंडता प्रभावित नहीं हो।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि लेखा परीक्षा और लेखा विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा अपने दायित्वों का सफल निर्वहन, संवैधानिक कर्त्तव्यों और सौंपी गयी जिम्मेदारियों को हमेशा सचेत रहते हुए पूर्ण निष्ठा के साथ पालन करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग गरीबों और ज़रूरतमंदों के हित में प्रभावी ढंग से सुनिश्चित करने में लेखा परीक्षा के अधिकारी-कर्मचारियों की महती भूमिका है। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि अधिकारी-कर्मचारी सबसे निर्धन लोगों की सेवा करने और उनके चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए पारस्परिक सहानुभूति से भरपूर सोच के साथ कार्य करें। उन्होंने लेखा परीक्षा के अधिकारी-कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि उनका सहयोग विकास की वर्तमान गति को और तेज करने, समाज के वंचित वर्गों के कल्याण और राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान होगा।
प्रधान महालेखाकार सुश्री गीताली तारे ने स्वागत भाषण दिया। प्रधान महालेखाकार श्री डी. साहू ने आभार माना।