Iran Hijab Row: ईरान में हिजाब के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है। पुलिस ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया है। हालांकि इसके बाद भी जनता की नाराजगी कम नहीं हो रही है। आखिरकार लोगों के सामने सरकार झुकती नजर आ रही है। करीब दो महीने से जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच ईरान सरकार ने हिजाब की अनिवार्यता से जुड़े कानून में बदलाव के संकेत दिए हैं। इस कानून के तहत ही महिलाओं को अपना सिर ढंकना होता है। इसी कानून के तहक 22 साल की महसा अमीनी को अरेस्ट किया गया था। 16 सितंबर को पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस कस्टडी में उसे काफी टॉर्चर किया गया था।
हिजाब कानून में बदलाव होगा
न्यूज एजेंसी एएफपी ने ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटाजेरी के हवाले से बताया कि सरकार ने हिजाब की अनिवार्यता से जुड़े दशकों पुराने कानून में बदलाव करने का फैसला लिया है। कहा कि संसद और न्यायपालिका दोनों इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं। ISNA समाचार एजेंसी के अनुसार यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों निकायों की ओर से कानून में क्या संशोधन किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने दिए संकेत
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 30 नवंबर को समीक्षा दल ने संसद के सांस्कृतिक आयोग से मुलाकात की है। राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कानून में संशोधन के संकेत दिए हैं। उन्होंने एक टीवी चैनल पर कहा कि देश की गणतंत्रात्मक और इस्लामी नींव संवैधानिक रूप से मजबूत है। बता दें 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति ने ईरान में सबकुछ बदल दिया। अप्रैल 1983 में ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य हो गया।
जासूसी के आरोप में ईरान ने दी चार को फांसी
इधर ईरान में रविवार को इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए काम करने के आरोप में चार लोगों को फांसी की सजा दी गई। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने बताया कि देश के रेवलूशनेरी गार्ड ने इजरायली एजेंसी से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की जानकारी दी थी। उसने कहा कि ये लोग निजी और सरकारी संपत्ति की चोरी करते थे। लोगों को अगवा कर उनसे पूछताछ करते थे। एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित जासूसों के पास हथियार थे और उन्हें क्रिप्टाकरेंसी के रूप में मोसाद से इसका मेहनताना मिलता था। जिन्हें फांसी दी गई है उनमें हुसैन ओरदोखाजादा, शाहीन इमानी मोहमुदाबादी, मिलाद अशरफी और मनौचेहर शाहबंदी शामिल हैं।