आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी जिले में एक ऐसी घटना सामने है जिसे हर कोई अजूबा ही मान रहा है। यहां 74 साल की एक महिला ने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी IVF तकनीक की मदद से जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है। इतने सालों तक अपने बच्चे से वंचित रहे इस कपल को भले ही IVF की मदद से ढेर सारी खुशियां मिल गई हों लेकिन मेडिकल की दुनिया में इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है कि क्या इतनी उम्रदराज महिला का IVF तकनीक से गुजरना सही है?
क्या है IVF तकनीक?
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी IVF. इस प्रक्रिया में अंडे को शरीर के बाहर ही स्पर्म से संगलित कराया जाता है और फिर ऑब्जरवेशन में रखने के बाद उस तैयार भ्रूण को गर्भाशय में वापस डाल दिया जाता है। इसमें डॉक्टर गर्भ के अंदर हो रहे बच्चे के विकास पर निगरानी रखते हैं ताकि किसी भी तरह की दिक्कत न हो।
चूंकि यह महिला मेनोपॉज की स्टेज को पार कर चुकी थी लिहाजा डॉक्टरों ने महिला और उसके पति को मनाया कि उन्हें अपना बच्चा चाहिए तो उन्हें IVF से गुजरना होगा और हैरानी की बात ये है कि महिला ने IVF प्रसीजर के पहले ही साइकल में गर्भधारण कर लिया था। इसके बाद उन्हें इसी साल जनवरी में अस्पताल में भर्ती कर लिया गया जहां लगातार उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा गया। दरअसल, 74 साल की उम्र में भी इस महिला की शारीरिक सेहत अच्छी थी जिस वजह से यह काम और भी आसान हो गया।
बहुत से गाइनैकॉलजिस्ट इतनी उम्रदराज महिला पर IVF तकनीक यूज किए जाने के खिलाफ हैं। एक गाइनैकॉलिजस्ट कहते हैं, कपल भले ही कितनी भी जिद क्यों न कर रहा हो लेकिन डॉक्टरों को इस केस को अपने हाथ में लेना ही नहीं चाहिए था। IVF एक्सपर्ट डॉ उमाशंकर जिनकी देखरेख में महिला सफलतापूर्वक बच्चों को जन्म दे पायी कहते हैं, हमने इस केस में हर तरह के नियम का पालन किया। आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल के चेयरमैन बी एस रेड्डी कहते हैं, यह निश्चिततौर पर विवाद से भरा एक मुद्दा है और हम अपनी अगली गर्वनिंग काउंसिल की मीटिंग में इस पर जरूर चर्चा करेंगे।