फतेहपुर: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी राजनैतिक दल विचार-मंथन कर प्रत्याशियों की घोषणा करने में लगे हुए हैं। सपा-बसपा गठबंधन की ओर से सबसे पहले फतेहपुर संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी की घोषणा कर दी गयी थी। इसके बाद राष्ट्रीय दल कांग्रेस द्वारा भी अपने प्रत्याशी की घोषणा की गयी। लेकिन भाजपा द्वारा अब तक प्रत्याशी की घोषणा न किये जाने से सही स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। लोगों को भाजपा प्रत्याशी के मैदान में आने का बेसब्री से इंतजार है। उधर गठबंधन व कांग्रेस प्रत्याशी जोर-शोर से जनता के बीच जाकर अपनी-अपनी उपलब्धियां गिनाने का काम कर रहे हैं।
चुनाव आयोग द्वारा आसन्न लोकसभा चुनाव की तिथियां चरणवार घोषित कर दी गयी हैं। तिथियों की घोषणा होते ही सभी राजनैतिक दलों के बीच हलचलें भी तेज हो गयी हैं। सपा-बसपा गठबंधन ने फतेहपुर संसदीय क्षेत्र से पहले ही अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी थी। प्रत्याशी घोषणा करने में इस बार दूसरे नम्बर पर कांग्रेस पार्टी रही। जबकि पिछले चुनावों को देखा जाये तो कांग्रेस द्वारा सबसे बाद में ही प्रत्याशी की घोषणा की जाती थी। जिससे घोषित प्रत्याशी को प्रचार का अधिक समय नहीं मिल पाता था। इस बात को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने इस बार प्रत्याशियों की घोषणा समय से पहले कर दी है। प्रत्याशी घोषणा करने में इस बार भाजपा फिसड्डी साबित हुयी। अभी तक लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गयी है। सबसे अधिक दावेदारों की संख्या भी इसी दल में है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा विचार-मंथन जोरों पर किया जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो केन्द्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का इस बार इस संसदीय सीट से टिकट कटना भी तय है। इनके स्थान पर किसी अन्य नेता पर पार्टी दांव लगाने के मूड में है। बहरहाल जनता को भाजपा प्रत्याशी के मैदान में आने का बेसब्री से इंतजार है। उधर गठबंधन व कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी लगातार बूथ सम्मेलनों का आयोजन कर पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को चुनाव में जी-जान से जुटने का आहवान कर रहे हैं। वहीं गांव-गांव जाकर लोगों को अपनी-अपनी उपलब्धियां गिनाने का भी काम कर रहे हैं।
बताते चलें कि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद वर्मा व कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सांसद राकेश सचान मैदान में डटे हैं। इसके अलावा राजनैतिक गलियारों में अभी और भी हलचल तेज होने की संभावना है। क्योंकि सभी दलों में टिकट मांगने वालों की संख्या अधिक थी। लेकिन टिकट तो किसी एक नेता को ही मिलना है। इस पर बागी नेता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आ सकते हैं। इनके मैदान में आने से दलीय प्रत्याशियों की धड़कने बढ़नी स्वाभाविक है। एक अनुमान के मुताबिक इस बार लोकसभा चुनाव में लगभग एक दर्जन प्रत्याशी मैदान में होंगे।
@ शीबू खान