मुंबई : महाराष्ट्र में भाजपा अपनी सहयोगी शिवसेना को किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री का पद नहीं देगी। पार्टी शिवसेना को अधिक से अधिक डिप्टी सीएम और मंत्रिमंडल में 40 फीसदी हिस्सेदारी देने पर ही सहमत होगी। अगर शिवसेना सीएम बनाने की शर्त और 50-50 फार्मूले पर अड़ी रही तो राज्य में नई सरकार के गठन में देरी होना तय है। बताया जा रहा है कि दोनों दलों के बीच आज नई सरकार के गठन पर बातचीत हो सकती है। हालांकि यह तय नहीं है कि इस दौरान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सामने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह होंगे या कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा।
हालांकि बुधवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने फिर कहा है कि हम केवल उस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे जिसे हमने विधानसभा चुनाव से पहले स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ अब नए प्रस्तावों पर कोई भी बातचीत नहीं होगी। भाजपा से न कोई नया प्रस्ताव मिला है और न उन्हें भेजा गया है। भाजपा और शिवसेना ने चुनावों से पहले सीएम के पद पर एक समझौता किया था और उसके बाद ही हम चुनाव के लिए गठबंधन के रूप में आगे बढ़े। राउत ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की साजिश रचने वाले लोग जनादेश का अपमान कर रहे हैं।
दोनों दलों के बीच नई सरकार के गठन पर बुधवार को बातचीत हो सकती है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस क्रम में उद्धव के साथ बातचीत की अगुवाई अमित शाह करेंगे या जेपी नड्डा इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। अगर पार्टी को शिवसेना के अपनी शर्तों पर अडिग रहने स्पष्ट संकेत मिला तो शाह की जगह नड्डा उद्धव से बातचीत कर सकते हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़े एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक सीएम पद देने का सवाल ही नहीं है। अगर शिवसेना को डिप्टी सीएम का पद मिलेगा तो उसे मंत्रिमंडल में अधिक से अधिक 40 फीसदी की हिस्सेदारी दी जाएगी। हां, इस क्रम में उसे कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालय दिये जा सकते हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं। अगर फिर भी शिवसेना सीएम पद के लिए अड़ी रही तो राज्य में सरकार के गठन में देरी होना तय है। क्योंकि भाजपा सीएम और कार्यकाल का आधा-आधा बंटवारे की शर्त को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी।