भोपाल: मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी को अविरल, प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए निकाली गई ‘नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा’ में नियमित तौर पर सुबह और शाम को नर्मदा नदी के तट पर आरती की गई। इस आरती में भी बडे़ घोटाले की बू आ रही है, क्योंकि एक वक्त की आरती पर 59 हजार रुपये का खर्च बताया गया है, जो अन्य खर्चों के अलावा है।
जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष प्रदीप पांडे ने बताया कि हर रोज सुबह और शाम को आरती का प्रावधान रहा। इसकी जिम्मेदारी साध्वी प्रज्ञा भारती और उनकी मंडली के जिम्मे रही। उन्होंने कहा कि इस 148 दिन की यात्रा में लगभग 50 स्थानों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। आरती में होने वाले खर्च के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके लिए खर्च का कोई प्रावधान नहीं था। आखिर यह खर्च कैसे बताया गया, इससे वे अनभिज्ञ हैं।
वहीं खरगौन के महिमाराम भार्गव ने सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी हासिल की है, उसमें एक आरती चार मार्च को महेश्वर के घाट में हुई थी, उसका खर्च 58,650 रुपये बताया गया है। यह भुगतान जनपद पंचायत महेश्वर द्वारा किया गया है। भार्गव के मुताबिक, इस आरती में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए थे और 58,650 रुपये का आरती का भुगतान इंदौर की एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को किया गया।
वहीं विशिष्टजनों के ठहरने, खाने, टेंट, वाहन सहित अन्य पर लाखों का व्यय अलग है। सवाल उठता है कि आरती में ऐसा क्या हुआ, जिसमें लगभग 59 हजार रुपये का खर्च आया। नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में पूरे समय हिस्सा लेने वाली साध्वी प्रज्ञा भारती का कहना है,’उनका आरती का प्रकल्प चल रहा है, वे नर्मदा यात्रा के दौरान दोनों समय आरती करती थीं। इसके लिए उनके साथ मंडली भी थी। उनके पास आरती स्वयं की है। घी-रुई की बाती आदि के लिए जरूर कुछ श्रद्धालु मदद करते थे। आरती के एवज में उनकी मंडली ने कोई राशि नही ली।’
जानकारों की मानें तो यह यात्रा कुल 148 दिन चली। नियमित रूप से दोनों समय हुई आरती पर अगर इसी तरह का व्यय हुआ होगा, तो प्रतिदिन सिर्फ आरती का खर्च 1,18,000 रुपये होता है। इसे 148 दिनों में बदला जाए तो यह राशि 1,74,64,000 रुपये होती है। नर्मदा सेवा यात्रा से जुड़े लोगों का यह सीधे तौर पर मानना है कि जहां भी मुख्यमंत्री पहुंचे वहां विशेष इंतजाम किए गए। मान लिया जाए कि 50 स्थानों पर ही हुई आरती में 59,000 रुपये का भुगतान किया गया होगा, तो भी यह राशि 29,00,000 रुपये होती है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि सूचना के अधिकार के तहत जो खर्च के आंकड़े सामने आए हैं, वह अपने आप में कुछ और ही कहानी कहते हैं।
भार्गव के मुताबिक, महेश्वर स्थित पर्यटन विकास निगम में पांच कमरों में ठहरने और खाने का भुगतान 77,608 रुपये का किया गया। इसके अलावा वाहनों में उस दिन 25 हजार का ईंधन भराया गया। भार्गव बताते है कि उन्हें जो दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं, उनमें एक ठेला लगाने वाले को 1,000 लोगों के खाने का ऑर्डर दिया गया। उसके खाते में 1,40,000 रुपये जमा किए गए, लेकिन भुगतान के नाम पर 2,40,000 रुपये का चेक जारी किया गया है।
इस यात्रा की जिम्मेदारी सरकार ने जन अभियान परिषद को सौंपी थी। यह यात्रा कहां-कहां से गुजरेगी, विश्राम, शुरुआत कहां से होगी, यह सारी जिम्मेदारी परिषद को तय करना थी। यह यात्रा 16 जिलों और 1,104 कस्बों व गांव से हज़कर गुजरी। इस यात्रा ने कुल 3,344 किलोमीटर का रास्ता तय किया। यह यात्रा जन अभियान परिषद के जिम्मे रही। यह यात्रा 11 दिसंबर, 2016 को अमरकंटक नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से शुरू हज़कर 15 मई, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अमरकंटक में ही संपन्न हुई। वरिष्ठ पत्रकार साजी थॉमस का कहना है, ‘सरकारी मशीनरी जहां मौका मिलता है, वहां सुराख कर अपनी जेब भर लेती है, अब देखिए न जीवन दायिनी नर्मदा की आरती में ही घोटाला कर डाला। यह राशि गरीब छात्रों या कर्ज से डूबे किसानों तक पहुंच जाती तो वे सरकार को दुआ ही देते। यह राशि जिनकी जेब में गई उनका पेट तो पहले से ही भरा हुआ है। लिहाजा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह यात्रा का सोशल ऑडिट कराए।’
यहां बताना लाजिमी होगा कि राज्य सरकार यात्रा के दौरान यही कहती रही कि यह यात्रा जनता के सहयोग से निकाली जा रही है, सरकार इसमें कोई खर्च नहीं कर रही है। यात्रा के प्रचार प्रसार पर हुए खर्च पर कांग्रेस लगातार सवाल उठाती रही है। मध्यप्रदेश वैसे ही घोटालों के लिए देश में खास स्थान बना चुका है, पहले डंपर घोटाला आया, फिर व्यापमं घोटाला आया, उसके बाद बिजली घोटाला आया, सिंहस्थ घोटाला चर्चाओं में रहा और अब नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में ‘आरती घोटाले’ की लपटें उठने लगी हैं। अब देखते हैं कि सरकार और खासकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, क्योंकि यह यात्रा उनकी नर्मदा नदी के प्रति जनचेतना जगाने की यात्रा थी, क्या रुख अख्तियार करते हैं।