जब अगले वित्त वर्ष से नई व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी लागू हो जाएगी तो फिर 15 साल से पुरानी गाड़ियां रखना बहुत ही महंगा पड़ेगा। इसकी वजह ये है कि फिटनेस सर्टिफिकेट लेने की कीमत 62 गुना से भी अधिक हो जाएगी और प्राइवेट व्हीकल के रजिस्ट्रेशन को रीन्यू कराने की लागत भी करीब 8 गुना अधिक हो जाएगी। इतना ही नहीं, हर राज्य रोड टैक्स के अलावा ग्रान टैक्स भी लगाएंगे, जिसे गाड़ी के मालिक को चुकाना ही होगा।
सड़क यातायात मंत्रालय की तरफ से अगले दो हफ्तों में स्क्रैपिंग पॉलिसी की घोषणा की जाएगी। सूत्रों के अनुसार 15 साल से पुरानी कमर्शियल गाड़ियों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट फीस मौजूदा की 200 रुपये से बढ़कर 7500 रुपये कैब के लिए हो जाएगी और ट्रक के लिए 12,500 रुपये हो जाएगी।
हर साल 62 गुना बढ़ी फिटनेस सर्टिफिकेट फीस, ऊपर से ग्रीन टैक्स : मोटर व्हीकल कानून के अनुसार अगर गाड़ी 8 साल से पुरानी हो जाती है तो हर साल उसका फिटनेस सर्टिफिकेट रीन्यू कराना होगा। सूत्रों के अनुसार जब ये गाड़ियां 15 साल से पुरानी हो जाएंगी तो हर साल 62 गुना अधिक हो चुका फिटनेस सर्टिफिकेट पानी की फीस चुकाने से बेहतर लोगों को ये लगेगा की वह गाड़ी को स्क्रैप में ही दे दें, जो लोगों को पुरानी गाड़ी रखने के लिए हतोत्साहित करेगा। इन सबके अलावा राज्यों की तरफ से रोड टैक्स का करीब 10-25 फीसदी तक ग्रीन टैक्स भी लगाया जाएगा।
5000 रुपये तक बढ़ जाएगी कार की रजिस्ट्रेशन फीस : वहीं 15 साल से पुरानी प्राइवेट गाड़ियों के लिए भी चार्जेज बढ़ जाएंगे। दोपहिया वाहन का रजिस्ट्रेशन चार्ज मौजूद के 300 रुपये से 1000 रुपये हो जाएगा और कारों के लिए ये चार्ज 600 रुपये से बढ़कर 5000 रुपये हो जाएगा। राज्यों की तरफ से रोड टैक्स के अलावा गाड़ी पर करीब 5 साल के लिए ग्रीन टैक्स भी लगा दिया जाएगा। हर प्राइवेट गाड़ी का 15 साल के बाद रजिस्ट्रेशन रीन्यू कराना होगा और उसके बाद यही प्रक्रिया हर 5 साल के बाद होगी।
लेकिन सरकार के सामने हैं कई चुनौतियां : जो भी गाड़ियां ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाती है, उन्हें गाड़ियों के सेंट्रल डेटाबेस ‘वाहन’ से डी-रजिस्टर कर दिया जाएगा। सरकार इस पॉलिसी को लॉन्च करने की पूरी तैयारी में तो है, लेकिन अभी सरकार के सामने इसे लागू करने कि लिए सबसे बड़ी चुनौती इंफ्रास्ट्रक्चर है। अभी 25 में से सिर्फ 7 ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्ट सेंटर काम कर रहे हैं। वहीं सिर्फ दो ऑथराइज स्क्रैपिंग सेंटर हैं, जिनमें से एक नोएडा में है।