खंडवा : देश में उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोडने वाले सबसे नजदीकी रेल मार्ग एंव अरावली कॉरीडोर का एक हिस्सा अकोला-खंडवा मीटरगेज से ब्रॉडगेज का परिवर्तन कार्य चल रहा है।इसमें मेलघाट टाईगर रिजर्व के बाहर से रेल बायपास बनाने पर स्थानीय जनमंच ने आश्चर्य व्यक्त किया है।
जनमंच प्रवक्ता कमल नागपाल ने बताया कि शुक्रवार सुबह प्रतिनिधि मंडल रेल प्रबंधक श्री जी एल मीणा से मिला और केंद्रीय रेल मंत्री के नाम एक पत्र सौंपा।इसमें बताया गया कि मीटरगेज रेल लाईन के गेज परिवर्तन के बीच मेलघाट टाईगर रिजर्व है,जिस पर महज मुठठी भर कुछ लोगो द्वारा अपने क्षेत्र से रेल गाडी ले जाने के लिये उठाई गई आपत्ति पर महाराष्ट्र सरकार ने टाईगर रिजर्व के बाहर से रेल बाईपास बनाने का आग्रह किया है।
यह बिलकुल व्यवहारिक नहीं है।खंडवा,अकोट,आमलाखुर्द, अकोला,वाशिम,हिंगोली,बसमत, नांदेड के लाखो नागरिक रेल बायपास का विरोध कर रहे हैं,क्योंकि नये रेल बायपास पर 750 करोड रुपयो का अतिरिक्त खर्च, 6.5 किलोमीटर की सुरंग, हजारो हेक्टेयर खेतो का भुमि अधिग्रहण पर किसानो की आपत्ति, रेल बाईपास से रेल गाडीयों को अतिरिक्त इंधन, अतिरिक्त समय लगेगा।
रेल बाईपास वाला क्षेत्र आदिवासी जन जाति बहुल होने से रेल विभाग को आय नही होगी, रेल बायपास के लिये हजारों बडे बडे पेडो को तोडा जायेगा जिससे पर्यावरण का भी ज्यादा नुकसान होगा।
Video – उद्धव ठाकरे सरकार के फरमान से अटका अकोला-खंडवा ब्रॉडगेज काम
सामाजिक संस्था जनमंच के चंद्रकुमार सांड,प्रमोद जैन,सुनील जैन,देवेंद्र जैन,डॉ जगदीशचंद्र चौरे, एन के दवे,अनुराग बंसल,जयरामदास खेमानी और कमल नागपाल आदि द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन में बताया गया है कि टाईगर रिजर्व में रेल पटरी से परतवाडा वाले पुर्व दिशा में 95 प्रतिशत जंगल है,और रेल पटरी के बुरहानपुर यानी पश्चिम दिशा में केवल 5 प्रतिशत जंगल है।
शेर 95 प्रतिशत घना जंगल छोडकर केवल 5 प्रतिशत मानवीय बस्ती के समीप वाले क्षेत्र में नहीं आते हैं। उसके बावजुद अगर बुलेट और मेट्रो रेल की भांती 29 किलोमीटर के मेलघाट टाईगर रिजर्व वाले क्षेत्र की पटरीयों को हर 500 मीटर पर जमीन से उपर 500 मीटर लंबे 29 पुल बना कर तथा कुछ जगहों पर रेल पटरी को पहाड़ों में सुरंग के अंदर रेल गाडी गुजारा जाये,साथ ही साथ हर 100 मीटर पर रेल पटरी पर 20 मीटर चौडे पुल बनाये जाये तो निश्चित तौर पर शेरो को पटरी के नीचे से और उपर से मुक्त संचरण करने मे काफी आसानी होगी। जमीनी पटरीयों के दोनो ओर तार फेंसिंग कर सुरक्षित किया जाये, इससे खर्च कम होगा,पर्यावरण प्रेमियों की आपत्ति का भी निराकरण हो जाएगा। लाखों रेल यात्रियों की भावनाओं तथा देश के नुकसान को देखकर उचित निर्णय लेकर रेल बायपास को मंजुरी नही देने का केंद्रीय रेल मंत्री से आग्रह किया गया है।